जम्मू-कश्मीर: बीते 4 सालों में मारे गए सबसे ज्यादा 257 आतंकवादी
जम्मू-कश्मीर में साल 2018 में सुरक्षा बलों के हाथों 257 आतंकवादी मारे गए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यह संख्या बीते चार साल में सर्वाधिक है.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में साल 2018 में सुरक्षा बलों के हाथों 257 आतंकवादी मारे गए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यह संख्या बीते चार साल में सर्वाधिक है. साल 2017 में 213, 2016 में 150 और 2015 में 108 आतंकवादी मारे गए थे.आतंकरोधी अभियानों में 31 अगस्त तक कुल 142 आतंकवादी मारे गए. बाकी बाद के चार महीनों में मौत के घाट उतारे गए. एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि अगस्त के महीने में 25 आतंकवादी ढेर हुए. यह संख्या साल 2018 के किसी महीने में सर्वाधिक है. साल 2018 में 105 आतंकवादी गिरफ्तार हुए और 11 ने आत्मसमर्पण किया. 2017 में 97, 2016 में 79 और 2015 में 67 आतंकी गिरफ्तार हुए थे. सुरक्षा बल 2018 में अधिक आतंकवादियों का आत्मसमर्पण कराने में सफल रहे. यह संख्या 2017 की तुलना में छह गुना अधिक रही. 2017 में केवल दो और 2016 में एक ने ही आत्मसमर्पण किया था. 2015 में किसी आतंकी ने आत्मसमर्पण नहीं किया था.
आंकड़ों से यह भी पता चला कि साल 2018 में हिंसक घटनाएं भी चरम पर रहीं. यह साल 2017 की 279 घटनाओं की तुलना में करीब डेढ़ गुना अधिक रहीं. सुरक्षा बलों ने 2018 में 153 एके राइफलें जब्त कीं. आईएएनएस को मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में 213 एके राइफल जब्त की गईं थीं.
जम्मू एवं कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि एके-47 असॉल्ट राइफल आतंकियों का पसंदीदा हथियार है. अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कश्मीर घाटी में अभी तीन सौ से अधिक आतंकी सक्रिय हैं जिनमें विदेशी आतंकी भी शामिल हैं. इनकी सक्रियता विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में है जिसे आतंकवाद का गढ़ माना जाता है.
अधिकारी ने कहा कि ये आतंकी घाटी के युवाओं को गुमराह कर उन्हें हथियार उठाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं. आतंकी सोशल मीडिया पर युवाओं के विचारों पर नजर रखते हैं और जिन युवाओं के विचारों में उन्हें अपने अनुरूप 'संभावना' नजर आती है, उनसे संपर्क साधते हैं.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि राज्य में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से भाजपा द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद 19 जून को राज्यपाल शासन लगने के बाद से सुरक्षा के हालात काफी बेहतर हुए हैं.