आरएसएस विचारक एम. जी. वैद्य के निधन पर मोहन भागवत ने जताया शोक
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने उनके निधन पर जारी शोक सन्देश में कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी, वैद्य संघ कार्य विकास के साक्षी रहे. उनका व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन संघ संस्कारों की अभिव्यक्ति करने वाला था.
नई दिल्ली:
आरएसएस के पूर्व अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख माधव गोविंद उपाख्य बाबूरावजी (एम जी वैद्य) के नागपुर में निधन पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने दुख जताया है. मोहन भागवत ने कहा कि उनके शरीर छोड़ने से हम सब संघ के कार्यकर्ताओं ने अपना एक वरिष्ठ छायाछत्र खो दिया है. मोहन भागवत ने कहा कि उनके जीवन से सभी को सीख लेने की जरूरत है. एमजी वैद्य 97 वर्ष के थे. अपने जीवनकाल में उन्होंने संघ के सभी छह सरसंघचालकों के साथ कार्य किए. आरएसएस के वर्तमान में सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य के वे पिता थे.
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने उनके निधन पर जारी शोक सन्देश में कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी, वैद्य संघ कार्य विकास के साक्षी रहे. उनका व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन संघ संस्कारों की अभिव्यक्ति करने वाला था. सरल भाषा में तर्कशुद्ध रीति से संघ को अपनी वाणी और लेखनी के माध्यम से वह जगत के समक्ष प्रस्तुत करते रहे. उनकी अगली पीढ़ी भी इसी प्रकार से जीवन जीते हुए देश हित के लिए कार्यरत है तथा उनके दो सुपुत्र मनमोहन व श्री राम संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं.
वैद्य(97) अपने पीछे पत्नी सुनंदा और आठ बच्चे छोड़ गए हैं. उनकी तीन बेटियां वैभरी जी नाईक, प्रतिभा यू राजहंस, भारती जी काहू और पांच बेटे धनंजय, मनमोहन, श्रीनिवास, शशिभूषण और राम हैं. एक बेटा डॉ. मनमोहन आरएसएस में बड़े पद पर है और दूसरा हिंदू स्वंयसेवक संघ का सह-समन्वयक है. वैद्य महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं और हाल ही में कोरोना से उबरे थे. वह अंत समय तक एक्टिव और अलर्ट थे.
परिवार के एक करीबी ने मीडिया को बातचीत में बताया कि हालांकि शुक्रवार को उनके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आई और उन्हें स्पंदन अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अपराह्न् करीब 3.30 बजे अंतिम सांस ली. रविवार सुबह 9.30 बजे अंबजारी घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. एक करीबी पारिवारिक मित्र बैरिस्टर विनोद तिवारी ने बताया, "वैद्य संगठन के उन खास लोगों में हैं, जिन्होंेने 95 साल के आरएसएस के सभी सरसंघचालकों के साथ काम किया है. इसमें इसके संस्थापक के.बी. हेडगेवार, प्रभारी प्रमुख एल.वी. प्रांजपे, एम.एस. गोलवलकर, एम.डी. देवरास, राजेंद्र सिंह, के.एस. सुदर्शन और मौजूदा प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं."