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मनमोहन वैद्य के आरक्षण वाले बयान पर बिफरे लालू, कहा हिम्मत है तो छीन कर दिखाये आरएसएस

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने वैद्य के बयान पर भड़कते हुए कहा कि आरक्षण संविधान ने दिया है।

IANS
| Edited By :
20 Jan 2017, 11:05:44 PM (IST)

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के आरक्षण हटाने के बयान पर राजनीतिक घेराबंदी शुरु हो गयी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद ने वैद्य के बयान पर भड़कते हुए कहा कि आरक्षण संविधान ने दिया है, आरएसएस की इतनी हिम्मत नहीं कि वह छीन सके।

लालू ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'आरक्षण संविधान के द्वारा दिया गया अधिकार है। आरएसएस जैसे जातिवादी संगठन की खैरात नहीं। इसे छीनने की बात करने वालों को औकात में लाना कमजोर वर्गो को आता है।'

लालू ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के मार्गदर्शक संगठन आरएसएस पर सवाल खड़ा करते हुए दूसरे ट्वीट में लिखा, 'आरएसएस पहले अपने घर में लागू 100 फीसदी आरक्षण की समीक्षा करे। कोई गैर-सवर्ण, पिछड़ा, दलित या महिला आज तक संघ प्रमुख क्यों नहीं बने? बात करते हैं।'

RSS पहले अपने घर में लागू 100फीसदी आरक्षण की समीक्षा करें।कोई गैर-स्वर्ण पिछड़ा/दलित व महिला आजतक संघ प्रमुख क्यों नही बने है? बात करते है

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) January 20, 2017

लालू यहीं नहीं रुके, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और लिखा, 'मोदी जी, आपके आरएसएस प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंट-शंट बके हैं। बिहार ने रगड़-रगड़ के धोया, शायद कुछ धुलाई बाकी रह गई थी जो अब यूपी जमकर करेगा।'

मोदी जी आपके RSS प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंट-शंट बके है। बिहार में रगड़-रगड़ के धोया,शायद कुछ धुलाई बाकी रह गई थी जो अब यूपी जमकर करेगा।

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) January 20, 2017

उल्लेखनीय है कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा है कि 'आरक्षण के नाम पर लोगों को सैकड़ों साल से अलग करके रखा गया है। इसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है।' उन्होंने कहा है कि आरक्षण को खत्म करना होगा, क्योंकि इससे 'अलगाववाद' को बढ़ावा मिला है।

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को खत्म करने को लेकर बयान दिया था। इसके बाद जद (यू) और राजद ने चुनावी सभाओं में इस मामले को जोर-शोर से उठाया था, जिसका फायदा भी उन्हें चुनाव मिला था। मोदी ने कहा था, 'आरक्षण को बचाने के लिए जी-जान लगा दूंगा।' लेकिन मतदाताओं ने उनकी बात पर भरोसा नहीं जताया।

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