Video: जीसैट-19 को GSLV मार्क-3 ने कक्षा में किया स्थापित, जानें 8 खास बातें
भारत ने सोमवार को अपने सबसे वजनी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए छोड़ा।
नई दिल्ली:
भारत ने सोमवार को अपने सबसे वजनी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए छोड़ा। जीएसएलवी मार्क-3 अपने साथ गए 3,136 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसैट-19 को कक्षा में स्थापित किया
जीएसएलवी श्रृंखला के इस सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 ने सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से अपराह्न 5.28 बजे पहली बार उड़ान भरी।
43.43 मीटर लंबा और 640 टन वजनी यह रॉकेट 16 मिनट में अपनी यात्रा पूरी कर पृथ्वी की सतह से 179 किलोमीटर की ऊंचाई पर जीसैट-19 को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
जीएसएलवी मार्क-3 लॉन्च करने के लिए उच्च गति वाले क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। करीब 30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने यह क्रायोजेनिक इंजन बनाया था।
#WATCH ISRO launches GSLV Mark III carrying GSAT-19 communication satellite from Sriharikota, AP https://t.co/qD3Z2almEr
— ANI (@ANI_news) June 5, 2017इसे भी पढ़ें: भारतीय संचार उपग्रह जीसेट-18 फ्रेंच गुयाना से सफलतापूर्वक लॉन्च
जानिए भारत के ताकतवर और भारी भरकम रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 से जुड़ी 8 ख़ास बातें :-
1-जीसैट-19 एक मल्टी-बीम उपग्रह है, जिसमें का एवं कू बैंड संचार ट्रांसपोंडर लगे हैं।
2-इसमें भूस्थैतिक विकिरण स्पेक्ट्रोमीटर (जीआरएएसपी) लगा है, जो आवेशित कणों की प्रकृति का अध्ययन एवं निगरानी करेगी और अंतरिक्ष विकिरण के उपग्रहों और उसमें लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन भी करेगा।
3-इस उपग्रह की कार्य अवधि 10 वर्ष है। इसमें अत्याधुनिक अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया गया है और यह स्वदेश निर्मित लीथियम ऑयन बैट्री से संचालित होगा।
4-जीएसएलवी मार्क-3 त्रिस्तरीय इंजन वाला रॉकेट है। पहले स्तर का इंजन ठोस ईंधन पर काम करता है, जबकि इसमें लगे दो मोटर तरल ईंधन से चलते हैं। रॉकेट का दूसरे स्तर का इंजन तरल ईंधन से संचालित होता है, जबकि तीसरे स्तर पर लगा इंजन क्रायोजेनिक इंजन है।
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5-रॉकेट के व्यास में विभिन्न स्तरों पर वृद्धि की गई है, जिसके चलते इसकी ऊंचाई कम की जा सकी, जबकि इसका भार काफी अधिक है।
6-जीएसएलवी मार्क-3 200 एशियाई हाथियों के वजन के बराबर होगा। इस रॉकेट से इसरो भविष्य में भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जा सकेगा।
7-जीएसएलवी मार्क-3 को बनने में करीब 15 साल का समय लगा और इस रॉकेट के बनने की लागत करीब 300 करोड़ रूपये है।
8-इस ताकतवर और विशाल रॉकेट की ऊंचाई किसी 13 मंजिली इमारत के बराबर है और यह चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है।
ये रॉकेट गेम चेंजर मिशन के तौर पर देखा जा रहा है। जीएसएलवी मार्क-3 के सफल लॉन्च पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसरो को बधाई दी।
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