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पढ़िए कौन हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय, मुगलसराय स्टेशन से क्या है रिश्ता

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने 21 सितंबर 1951 को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मिलकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी।

News Nation Bureau
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05 Aug 2018, 12:07:23 PM (IST)

नई दिल्ली:

मुगलसराय जंक्शन आज से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के नाम से जाना जाएगा। रविवार को मुगलसराय जंक्शन पर इस उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम रखा गया है। इस मौक़े पर रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal), सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) भी मौजूद होंगे।

दीनदयाल का मुगलसराय स्टेशन से यह है इतिहास

सन् 1968 में कानपुर से पटना के सफर पर निकले पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मृत शरीर मुगलसराय स्टेशन पर रेलवे यार्ड में पाया गया था। उस समय हालांकि उनकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी।

बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से कई बार इस स्टेशन का नाम बदलकर 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन' करने की मांग उठती रही है।

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कौन हैं पंडित दीन दयाल उपाध्याय

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने 21 सितंबर 1951 को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी जो आगे चलकर 1980 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनी। इससे पहले पंडित दीन दयाल उपाध्याय नेहरू कैबिनेट में शामिल थे लेकिन 1950 में उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया।

इनका जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा के नगलाचंद्रबन गांव में हुआ। दीन दयाल उपाध्याय के पिता एक ज्योतिषी थे। जब वह तीन साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया और जब 8 साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया।

पिलानी में 12वीं डिस्टिंक्शन से पास करने के बाद दीन दयाल बीए की पढ़ाई के लिए कानपुर चले गए। यहां पर सनातन धर्म कॉलेज में दाखिला लिया। 1937 में अपने मित्र बलवंत महाशब्दे के कहने पर दीन दयाल ने आरएसएस से नाता जोड़ा। बीए करने के बाद दीन दयाल एमए की पढ़ाई के लिए आगरा चले गए लेकिन एमए की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए।

उपाध्याय ने नानाजी देशमुख और भाऊ जुगाड़े के साथ पूरी तरह से आरएसएस के लिए काम किया।

इलाहाबाद में वह आरएसएस के लिए काम करते थे और यहां से वह 1955 में लखीमपुर चले गए जहां वह पूरी तरह से आरएसएस के लिए समर्पित हो गए।

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पंडित दीन दयाल उपाध्याय 1968 में जन संघ के अध्यक्ष बने। इसके कुछ ही समय बाद 11 फरवरी 1968 को उनका देहांत हो गया।