सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश करने पर हिंसक प्रदर्शन, पुलिस ने 266 प्रदर्शनकारियों को किया गिरफ्तार
केरल के सबरीमाला में दो 50 साल से कम उम्र की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ हिंदू संगठन जमकर विरोध-प्रदर्शन किया.
नई दिल्ली:
केरल के सबरीमाला में दो 50 साल से कम उम्र की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ हिंदू संगठन जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. राज्य में बुलाई गई हड़ताल के दौरान पथराव, वाहनों को रोकने और हिंसा की घटना सामने आई. पुलिस ने 266 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि 334 को हिंसा के मामले में हिरासत में लिया गया है. इस हड़ताल के कारण शुरआती घंटे में जनजीवन पर असर पड़ा. केरल में सबरीमाला कर्मा समिति और अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद् ने राज्य में बंद का आह्वान किया. सबरीमाला कर्मा समिति अलग-अलग हिंदू संगठनों का संघ है. पुलिस ने बताया कि पथराव में गंभीर रूप से घायल हुए 55 साल के एक व्यक्ति की बुधवार रात मौत हो गई.
राज्य में बंद के दौरान केरल राज्य पथ परिवहन निगम की बसें कई जिलों में नहीं चलीं. प्रदर्शनकारियों ने बसों पर भी पथराव किया. केरल की राजधानी में दुकानें और बाजार बंद रहे. हालांकि कुछ व्यापारियों ने दुकानें बंद नहीं की. बीजेपी बंद का समर्थन कर रही है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ ने काला दिवस मनाया. केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राज्य में प्रदर्शनों को लेकर बीजेपी, आरएसएस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा को सख्ती स निपटा जाएगा. शुद्धिकरण के लिए मंदिर को बंद करने के मुख्य पुजारी के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए, विजयन ने कहा कि यह शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ था.
बता दें कि बुधवार को मंदिर में महिलाओं के प्रवेश ने सैंकड़ों साल पुरानी परंपरा को तोड़ दिया पारंपरिक काले परिधान पहने और सिर ढक कर कनकदुर्गा (44) और बिंदू (42) बुधवार को तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर पहुंचीं. पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों की आशंका के कारण दोनों महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई है. दोनों महिलाओं ने करीब आधी रात में मंदिर की ओर चढ़ाई शुरू की थी. भगवान अय्यपा के दर्शन करने के बाद वे दोनों लौट गईं.
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने 'शुद्धिकरण' समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया है.मंदिर को तड़के तीन बजे खोला गया था और 'शुद्धिकरण' के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया.
बता दें कि पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी. इस फैसले के बाद कई महिलाओं ने प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन भारी विरोध-प्रदर्शन के कारण उन्हें वापिस लौटना पड़ा था. इससे पहले उन्होंने 24 दिसंबर को भी मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा था. मंदिर 30 दिसंबर को मकरविल्लकु उत्सव के लिए खोला गया था. 9 दिसंबर को केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध कर रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था. पुरानी प्रथा को कायम रखने को लेकर हिंदूवादी संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.