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'सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को नहीं मिलेगा प्रवेश, सुप्रीम कोर्ट भगवान से बड़ा नहीं'

तृप्ति देसाई ने सरकार पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है

16 Nov 2019, 07:35:13 PM (IST)

केरला:

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. मंदिर का कपाट खुल गया है, लेकिन 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. शनिवार को पुलिस ने पंबा की 10 महिलाओं को वापस भेज दिया. ये महिलाएं आंध्र प्रदेश से मंदिर में पूजा करने के लिए आई थीं.

भक्तों मंडला पूजा उत्सव के दौरान पूजा करने के लिए सबरीमाला मंदिर पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी. एक श्रद्धालू ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश बिल्कुल नहीं मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट भगवान से बड़ा नहीं है. वहीं इसके अलावा कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने सरकार पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है. उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार ने कहा था कि हम महिलाओं के लिए सुरक्षा मुहैया कराएंगे, इसके बाद महिलाएं बिना किसी सुरक्षा इंतजाम किए मंदिर जा रही हैं. लेकिन अब उन्हें रोका जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है सरकार महिला विरोधी काम कर रही है. 

Activist Trupti Desai: Yesterday, the government said that they won't provide security to women, so women are going to #SabarimalaTemple without protection. Now, women are being stopped, so I think the government is working completely against women. https://t.co/BAybDn4NzY pic.twitter.com/RnuhH73G4I

— ANI (@ANI) November 16, 2019

बता दें कि केरल सरकार ने कहा था कि जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें ‘अदालती आदेश’ लेकर आना होगा. शीर्ष अदालत ने इस धार्मिक मामले को बड़ी पीठ में भेजने का निर्णय किया था. शीर्ष अदालत ने पहले पिछले साल रजस्वला उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी. 17 नवंबर से शुरू होने वाले दो महीने की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा सत्र के लिए आज मंदिर खुल रहा है. केरल के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा था कि सबरीमला आंदोलन करने का स्थान नहीं है और राज्य की एलडीएफ सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जिन लोगों ने प्रचार पाने के लिए मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान किया है.

केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर के कपाट दो महीने चलने वाली तीर्थयात्रा मंडला-मकरविलक्कू के लिए शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खोल दिए गए. मंदिर के तंत्री (मुख्य पुरोहित) कंडरारू महेश मोहनरारू ने सुबह पांच बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और पूजा अर्चना की. केरल के पथनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित मंदिर में केरल, तमिलनाडु और अन्य पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे.

तंत्री के ‘पदी पूजा’ करने के बाद श्रद्धालु, जिन्हे दो बजे दोपहर को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई, वे इरुमुडीकेट्टू (प्रसाद की पवित्र पोटली) के साथ मंदिर के पवित्र 18 सोपन पर चढ़ कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे. नए तंत्री एके सुधीर नम्बूदिरी (सबरीमाल) और एमएस परमेश्वरन नम्बूदिरी (मलिकापुरम) ने बाद में पूजापाठ की जिम्मेदारी ली. पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था.

हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई. लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेज दिया. साथ ही, सरकार भी इस विषय पर सावधानी बरत रही है. देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने स्पष्ट कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का स्थान नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी. वहीं, 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं.

(इनपुट भाषा)