सीज़फ़ायर पर संग्राम: क्या ये आतंक विरोधी मोदी नीति का यू-टर्न है?
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नई दिल्ली:
रमजान के मौके पर कश्मीर में सीजफायर रहेगा! यकीनन घाटी के लोगों के लिए ये राहत की खबर हो सकती है, लेकिन इसका सीधा मतलब ये भी है कि घाटी में 'ऑपरेशन ऑल आउट' फिलहाल भूल जाइए।
वो 'ऑपरेशन ऑल आउट', जिसके तहत बीते कुछ महीनों में ही 200 से ज्यादा आतंकी ढेर किए गए! घाटी में आतंक की कमर तोड़ी गई। तो क्या अब सेना खुद पर हमला होने का इंतजार करेगी?
वैसे एक तबके का मानना है इस फैसले से मुफ्ती सरकार को राहत मिलेगी। वो मुफ्ती सरकार, जो पत्थरबाजों के मुकदमें तो वापस लेती है, लेकिन सेना के अफसरों पर एफआईआर दर्ज कराती है!
आरोप है कि मोदी सरकार ने घाटी की सत्ता का भागीदार बने रहने की मजबूरी के चलते ये कदम उठाया है। हालांकि घाटी के ज्यादातर राजनीतिक दल सीज़फायर के पक्ष में थे, लेकिन विपक्ष फिर भी हमलावर है।
वैसे इस ऐलान से कई सवाल भी पैदा हुए हैं। मसलन, 1 के बदले 10 सर के दावे का क्या? 56 इंच के सीने का क्या? क्या आतंकियों की नापाक नीयत पर यकीन किया जाना चाहिए?
जब आतंकियों का कोई धर्म नहीं तो सीज़फायर रमजान में ही क्यों? पहले ऑपरेशन ऑल आउट, लेकिन अब सीज़फायर!
क्या ये आतंक विरोधी मोदी नीति का यू-टर्न है? मोदी के 16-17 कश्मीर दौरे, 80 हजार करोड़ के पैकेज का एलान, बीते साल वार्ताकार की नियुक्ति, 9 हजार पत्थरबाजी के मुकदमों की वापसी और अब रमज़ान में सीज़फायर का एलान!
क्या यही है मोदी सरकार की कश्मीर नीति? क्या ये सुरक्षा से समझौता है या सोचसमझकर लिया गया सही फैसला है?
मुल्क की सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर मेरे साथ देखिए देश के सबसे लोकप्रिय डिबेट शो में से एक 'इंडिया बोले'- 'सीज़फ़ायर पर संग्राम!', इस सोमवार शाम 6:00 बजे सिर्फ न्यूज़ नेशन टीवी पर।
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