ट्रांसजेंडर त्रिनेत्र को अपनी पसंद के लिए झेलने पड़े निजी हमले, फिर पाया यह मुकाम
ट्रांसजेंडर डॉ त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू (Trinetra Haldar Gummaraju) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और इंस्टाग्राम पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं
highlights
- त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं
- त्रिनेत्र को इंस्टाग्राम पर लाखों लोग फॉलो करते हैं
नई दिल्ली:
भारत में किन्नर, हिजड़ा, ट्रांसजेंडर के जिक्र पर जो तस्वीर हमारे मन में उभरती है, उसमें वे या तो ताली पीटकर नाचते दिखते हैं या भीख मांगते हुए. वहीं दूसरी ओर ऐसे बच्चों को भी बचपन से ही परेशान किया जाता है. इस मामले में फेमस इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू (Trinetra Haldar Gummaraju) ने अपनी आवाज उठाई है. 24 साल कीं त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू भारत के शीर्ष मेडिकल शिक्षण अस्पतालों में से एक कर्नाटक के KMC मणिपाल से सर्जन की इंटर्नशिप कर रही हैं.
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त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू ने कहा कि कुछ लोगों ने उसे वैसा ही देखा, जैसा वह दिखना चाहती थीं. चार साल की उम्र से ही त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू को अपनी मां की साड़ियां पहनने या हाई हील की सैंडल पहनने या महिला जैसा दिखने के लिए कुछ भी पहनने पर धमकाया और शर्मिंदा किया जाता रहा है. बचपन से ही ऐसे निजी हमले झेल रहीं त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू (Trinetra Haldar Gummaraju) ने बताया कि मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा एक अपूर्ण पुरुष के रूप में देखा है. त्रिनेत्र ने कहा कि बड़े उम्र के लड़कों ने अक्सर उन्हें छेड़ा, स्कूल के शिक्षकों ने कई बार अपमानित किया और मेरे परिवार को तरह-तरह की सलाह दीं.
त्रिनेत्र हलदार गुम्माराजू ने कहा कि उन्होंने अपनी लिंग पहचान पर भी सवाल नहीं उठने दिया क्योंकि ट्रांसजेंडर लोगों की इस देश में इतनी नकारात्मक छवि है कि उन्हें डरावना, अपमानजनक, खतरनाक रूप में देखा जाता है. त्रिनेत्र का कहना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को बड़े पैमाने पर समाज में हाशिये पर धकेल दिया जाता रहा है. जिसमें कई लोग भीख मांगने के लिए मजबूर होते हैं. गुम्माराजू ने बताया कि सामाजिक रीति-रिवाजों की वजह से आत्म-घृणा इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था. लेकिन जब उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया तो स्थितियां एकदम पलट गईं. बेइज्जती करने वाले ना चाहते हुए भी अब उनका सम्मान करने लगे हैं.