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Indian Air Force Day 2021: भारतीय वायुसेना आज मना रही 89वां स्थापना दिवस, जानें गौरवशाली इतिहास 

देश के लिए आज का दिन बेहद अहम है. इस दिन को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है. इस वर्ष भारतीय वायुसेना का 89वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है.

News Nation Bureau
| Edited By :
08 Oct 2021, 10:16:49 AM (IST)

highlights

  • 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी.
  • आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटा दिया गया.
  • सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया.

 

नई दिल्ली:

देश के लिए आज का दिन बेहद अहम है. इस दिन को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष भारतीय वायुसेना का 89वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. भारतीय वायुसेना दुनिया की सबसे ताकतवर वायुसेनाओं में से एक है. वायुसेना ने अनेकों बार अपने पराक्रम से भारत को गौरवान्वित किया है. 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी. इसे दिन वायुसेना दिवस मनाया जाता है. देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था.

1 अप्रैल, 1933 में पहला दस्ता

1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता तैयार किया गया था। इसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल करा गया था. आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के अंडर में काम करती थी. एयर फोर्स को आर्मी से अलग करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है. आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया. वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे. भारतीय वायुसेना का स्लोगन-'नभ: स्पृशं दीप्तम' है। इसे गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। कुरूक्षेत्र में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का यह अंश है.

वायुसेना ध्वज

वायुसेना ध्वज, वायु सेना के निशान से बिल्कुल अलग नीले का रंग होता है. इसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना होता है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों यानी केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक गोलाकार आकृति है. यह ध्वज 1951 में अपनाया गया.