ओमान के दोकम पोर्ट का भारत सैन्य जरूरतों के लिये कर सकेगा इस्तेमाल
हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ ज्य़ादा मजबूत रखने के लिये भारत को एक बड़ी सफलता मिली है। भारत ओमान के दोकम पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य ज़रूरतों के लिये कर सकता है।
नई दिल्ली:
हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ ज्य़ादा मजबूत रखने के लिये भारत को एक बड़ी सफलता मिली है। भारत ओमान के दोकम पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य ज़रूरतों के लिये कर सकता है।
पीएम मोदी की ओमान यात्रा के दौरान हुए इस समझौते से समुद्री रणनीति को देखते हुए ये भारत की बड़ी सफलता माना जी रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ककी ओमान यात्रा के दौरान वहां के सुल्तान सैय्यद कबूस बिन सईद अल सईद से मुलाकात के दौरान रक्षा सहयोग पर समझौता किया गया।
चीन हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ा रहा है ऐसे में चीन को टक्कर और उसकी गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी। सूत्रों का कहना है कि दोकम पोर्ट और ड्राइ डॉक भारतीय सैन्य जहाजों को की मरम्मत, देखरेख और अन्य ज़रूरतों के लिये उपलब्ध होगा।
दोकम पोर्ट ओमान के दक्षिणी पूर्वी हिस्से में स्थित है और सीधे अरब और हिंद महासागर पर नज़र रखता है। इससे भारत को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है। ये पोर्ट ईरान के चाबाहार पोर्ट के करीब है। सेशेल्स के अजंप्शन आईलैंड को पोर्ट में विकसित किया जा रहा है और मॉरिशस में अगलेगा को विकसित किया जा रहा है। ऐसे में भारत के लिये दोकम काफी महत्व रखता है।
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हाल ही में दोकम पोर्ट पर भारत की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल सितंबर में पश्चिमी अरब सागर में स्थित इस पोर्ट पर भारत ने अटैक सबमरीन तैनात किया था। शिशुमार क्लास की सबमरीन नौसैनिक जहाज आईएनएस मुंबई और दो पी-8I मैरिटाइम पट्रोल एयरक्राफट को दोकम भेजा गया था।
नौसैनिक जहाज वहां पर एक महीने से भी ज्यादा समय तक थे और वहीं पर सार्विलांस और सहयोग बढ़ाने के काम में लगे थे।
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