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'UPA में 140 मिलियन लोगों की गरीबी हुई थी दूर, मोदी सरकार आंकड़ों के साथ कर रही हेराफेरी'

पी चिदंबरम ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 और यूपीए-2 के शासनकाल में जीडीपी सबसे ज्यादा रही थी।

News Nation Bureau
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19 Aug 2018, 11:00:16 PM (IST)

नई दिल्ली:

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर की गणना पूर्ववर्ती वर्षो की श्रृंखला में की जाए जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दोनों कार्यकाल (2004-2014) के दौरान 8.13 फीसदी की दशकीय विकास दर रही है, जोकि स्वतंत्रता के बाद सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में मौजूदा सरकार द्वारा पूरी कोशिश से तथ्यों को तोड़मरोड़ कर मनमोहन सिंह सरकार के रिकॉर्ड को धूमिल किया जा रहा है। 

पी चिदंबरम ने केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, 'यूपीए-1 (UPA-1) में विकास दर 8.87 प्रतिशत था जो 2006-07 में दो अंकों में तब्दील होकर 10.08 प्रतिशत पहुंच गया। जबकि यूपीए -2 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.39 प्रतिशत था। सरकार ने यह वृद्धि दर उस प्रतिकूल परिस्थितियों में हासिल किया था जबकि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई थी।'

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प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर आंकड़ों में हेरफेर करके यूपीए सरकार की उपलब्धियों को कमतर दिखाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा, 'पिछली श्रृंखला के आंकड़े अब उपलब्ध हैं। आंकड़ों से यह बात सही प्रमाणित होती है कि सच को हमेशा के लिए नहीं दबाया जा सकता है। झूठ और तोड़मरोड़ कर तथ्यों को पेश किए जाने के बीच सच उभरकर सामने आ गया है।'

इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने कहा, '2014 के मई में सत्ता में आई और उसके बाद से डॉ. मनमोहन सिंह के 2004 से लेकर 2014 के शासन काल के रिकॉर्ड की आलोचना करने के प्रयास लगातार जारी हैं।'

उन्होंने कहा, 'स्वतंत्रता के बाद यूपीए के दोनों शासनकाल में 8.13 प्रतिशत का विकास दर था। यह एक रिकॉर्ड है कि इस दौरान 140 मिलियन लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए थे।

चिदंबरम के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार को एक बेहतर अर्थव्यवस्था के साथ देश की कमान मिली हुई थी। यही कारण है कि मोदी सरकार के शुरुआती दो सालों में प्रगति जारी रही, लेकिन जैसे ही सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी और टैक्स की दरों की अव्यावहारिक नीतियां लागू की, देश विकास की दौड़ में पीछे होता चला गया।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि देश में तीन वित्त मंत्री हैं- डिफैक्टो (वास्तविक), डिजुरे (कानूनी) एवं इनविजिबल (दृश्य)। उनका इशारा अरुण जेटली, पीयूष गोयल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर था।

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(IANS इनपुट)