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स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले- न्यू इंडिया भेदभाव मुक्त हो, 10 खास बातें (वीडियो)

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने मोदी सरकार के कामकाज के साथ ‘न्यू इंडिया’ के सपनों को साकार करने की बात की।

News Nation Bureau
| Edited By :
14 Aug 2017, 08:46:31 PM (IST)

highlights

  • रामनाथ कोविंद ने कहा, 'न्यू इंडिया' भेदभाव मुक्त हो, इसमें गरीबी की कोई जगह नहीं
  • राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम पहले संबोधन में कहा, आज राष्ट्र निर्माण का समय
  • कोविंद ने अपने संबोधन में नेहरू, गांधी, अंबेडकर और नेताजी को किया याद

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने मोदी सरकार के कामकाज के साथ ‘न्यू इंडिया’ के सपनों को साकार करने की बात की।

राष्ट्रपति अपने संबोधन में स्वतंत्रता सेनानी और भारत निर्माण में योगदान देने वाले महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भारत छोड़ो आंदोलन की शहीद मातंगिनी हाज़रा का जिक्र करना नहीं भूले।

राष्ट्रपति के संबोधन की 10 खास बातें

1. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को 'न्यू इंडिया' को भेदभाव विहीन बनाने का देशवासियों से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समाज होना चाहिए, जो भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के साथ-साथ संवेदनशील भी हो, जिसमें कोई भेदभाव न हो। उन्होंने कहा कि 'न्यू इंडिया' समग्र मानवतावादी मूल्यों को समाहित करे, क्योंकि यही मानवीय मूल्य देश की संस्कृति की पहचान हैं।

2. राष्ट्रपति ने कहा, 'आधुनिक टेक्नॉलॉजी को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाने की आवश्यकता है। हमें अपने देशवासियों को सशक्त बनाने के लिए टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करना ही होगा, ताकि एक ही पीढ़ी के दौरान गरीबी को मिटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। ‘न्यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।'

3. सरकार ने ‘स्वच्छ भारत’ अभियान शुरू किया है लेकिन भारत को स्वच्छ बनाना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। सरकार शौचालय बना रही है और शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है, लेकिन इन शौचालयों का प्रयोग करना और देश को ‘खुले में शौच से मुक्त’ कराना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।

4. सरकार देश के संचार ढांचे को मजबूत बना रही है, लेकिन इंटरनेट का सही उद्देश्य के लिए प्रयोग करना, ज्ञान के स्तर में असमानता को समाप्त करना, विकास के नए अवसर पैदा करना, शिक्षा और सूचना की पहुंच बढ़ाना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। सरकार ‘बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ’ के अभियान को ताकत दे रही है लेकिन यह सुनिश्चित करना कि हमारी बेटियों के साथ भेदभाव न हो और वे बेहतर शिक्षा प्राप्त करें - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।

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5. सरकार ने टैक्स की प्रणाली को आसान करने के लिए जी.एस.टी. को लागू किया है, प्रक्रियाओं को आसान बनाया है; लेकिन इसे अपने हर काम-काज और लेन-देन में शामिल करना तथा टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है।

6. नोटबंदी के समय जिस तरह आपने असीम धैर्य का परिचय देते हुए कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया, वह एक जिम्मेदार और संवेदनशील समाज का ही प्रतिबिंब है। नोटबंदी के बाद से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है। ईमानदारी की भावना दिन-प्रतिदिन और मजबूत हो, इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा।

7. आज पूरी दुनिया भारत को सम्मान से देखती है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, आपसी टकराव, मानवीय संकटों और आतंकवाद जैसी कई अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में विश्व पटल पर भारत अहम भूमिका निभा रहा है।

8. आतंकवाद और अपराध से मुकाबला करने के लिए मौत को ललकारते हुए हमें सुरक्षित रखते वाले हमारे पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान केवल अपने कर्तव्य का ही पालन नहीं करते - बल्कि निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं। हमारे किसान, देश के किसी दूसरे कोने में रहने वाले अपने उन देशवासियों का पेट भरने के लिए, जिन्हें उन्होंने कभी देखा तक नहीं है, बेहद मुश्किल हालात में कड़ी मेहनत करते हैं। वे किसान सिर्फ अपना काम ही नहीं करते - बल्कि निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं।

9. देश के लिए जान की बाजी लगा देने वाले सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, तथा बिरसा मुंडा जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को हम कभी नहीं भुला सकते। महात्मा गांधी ने समाज और राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल दिया था। गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं। नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका टेक्नॉलॉजी के साथ तालमेल संभव है, और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं।

10. सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया; साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही, उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।

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