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आयकर विभाग में जल्द शुरू हो भर्ती, नहीं तो बेपटरी हो सकती है कालेधन की खोज: आयकर अधिकारी

जल्द ही उपाय नहीं किया तो इस बढ़े हुए काम का बोझ उनके कंधों पर ढो पाना संभव नहीं होगा।

IANS
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25 Dec 2016, 11:57:45 PM (IST)

कोलकाता:

जनसमर्थन का आभाव और बुनियादी सुविधाओं में बाधाओं की वजह से आयकर विभाग की छुपी आय या कालेधन को उजागर करने का सपना अधूरा रह सकता है। एक कर अधिकारी ने यह बात कही।

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने यदि समस्या हल करने के लिये जल्द ही उपाय नहीं किया तो इस बढ़े हुए काम का बोझ उनके कंधों पर ढो पाना संभव नहीं होगा।

8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से कालेधन का एक बड़ा हिस्सा पिछले दरवाजों से बैंकों और डाकघरों में जमा हो रहा है। चलाकी भरे तरीकों, जैसे हवाला के जरिए, सोने की खरीद से, बुलियन, आभूषण, जमीन खरीद वगैरह में भी पुराने नोटों को खपाया गया।

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आयकर राजपत्रित अधिकारी संघ (आईटीजीओए) के महासचिव भास्कर भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा, 'श्रमशक्ति विभाग बुनियादी ढांचे की भारी कमी का सामना कर रहा है। कालेधन को उजागर करने के लिए लेनदेन की किस्म की पहचान, परीक्षण, जांच या सत्यापन की प्रक्रिया कैसे पूरी हो सकेगी।'

मानव शक्ति की कमी की ओर इशारा करते हुए पश्चिम बंगाल इकाई के आईटीजीओए अध्यक्ष मृणाल कांति चंदा ने आईएएनएस से कहा, 'राष्ट्रीय स्तर पर मंजूर किए गए 2200 पदों में से सहायक और उपायुक्तों के 396 पद खाली हैं। ये मूल्यांकन कार्य के लिए महत्वपूर्ण वर्ग हैं।'

उन्होंने कहा कि यदि संयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के पदों को शामिल कर लिया जाए तो इस श्रेणी में करीब 30-35% पद खाली है।

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के स्तर पर खाली पड़े पदों की बुरी स्थिति है। यह करीब 40 फीसदी है।

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आईटीजीओए के पश्चिम बंगाल ईकाई के महासचिव सायंतन बनर्जी ने आईएएनएस से कहा, 'कार्यकारी सहायक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर मंजूर किए गए 19837 पदों में 6000 से ज्यादा पद खाली हैं। बहुकार्य कर्मचारियों की श्रेणी में अखिल भारतीय स्तर पर 11,338 पद मंजूर किए गए हैं, लेकिन करीब 5,897 कर्मचारी ही मौजूद हैं। नोटिस सेवा संवर्ग में 3974 पदों में करीब 1,000 अधिकारी ही मौजूद हैं।'

उन्होंने कहा कि कैडर पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत विभाग ने सहायक और उपायुक्तों के लिए 600 नए पदों का प्रस्ताव दिया है। कैडर पुनर्गठन की प्रक्रिया 2008 में शुरू हुई और 2013 में इसे अंतिम रूप दिया गया।