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अगर कांग्रेस यह सब करती तो बीजेपी आज सत्‍ता में नहीं होती, गुलाम नबी आजाद बोले

गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पीएम मोदी (PM Modi) कहते हैं कि इस तरह की हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ है. अगर कांग्रेस ऐसी हिंसा भड़काने में सक्षम होती तो आप सत्‍ता में नहीं होते.'

16 Dec 2019, 02:24:58 PM (IST)

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Congress Leader Ghulam Nabi Azad) ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बयान के जवाब में बड़ी बात कही. गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'पीएम मोदी (PM Modi) कहते हैं कि इस तरह की हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ है. अगर कांग्रेस ऐसी हिंसा भड़काने में सक्षम होती तो आप सत्‍ता में नहीं होते. इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं.' गुलाम नबी आजाद ने कहा, इस तरह की हिंसा के लिए केवल सत्ताधारी पार्टी, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उनका कैबिनेट ही जिम्मेदार है.

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आजाद ने कहा, पुलिस जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय के कुलपति की अनुमति के बिना परिसर में प्रवेश नहीं कर सकती. यदि उन्हें अनुमति नहीं थी, तो केंद्रीय सरकार के अधीन आने वाली पुलिस ने परिसर में कैसे प्रवेश किया? हम इसकी निंदा करते हैं. इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.

CAA के विरोध में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों समेत रविवार को दिल्ली में जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के लिए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्र सरकार के जिम्मेदार ठहराया है. मोदी 2.0 सरकार को 'असली मुजरिम' करार देते हुए आजाद ने कहा कि सरकार ने बगैर अंजाम की फिक्र किए संसद में 'अंवैधानिक' विधेयक को पारित करा कानून बनाया. CAA के विरोध में असम, पश्चिम बंगाल में फैली आग अब महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत दिल्ली को भी अपनी चपेट में ले चुकी है.

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आजाद बोले, 'बगैर कुलपति की अनुमति के पुलिस किसी भी विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश नहीं कर सकती है. अगर पुलिस को अनुमति नहीं दी गई थी, तो केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस ने परिसर में प्रवेश कैसे किया? हम पुलिस की इस अनिधकृत कार्रवाई की निंदा करते हैं और साथ ही न्यायिक जांच की मांग करते हैं.'

आजाद ने कहा, 'आवाम नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ है. यही वजह है कि इसके विरोध में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत हर जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. आवाम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है.'