'कोरोना को कमजोर कर सकती है गर्मी, प्रतिरक्षा में बीसीजी वैक्सीन मददगार'
यह बात अमेरिका के यूपीएमसी शेडीसाइड पेंसिलवेनिया में डिस्चार्ज प्लानिंग के निदेशक रवि गोडसे ने एक ईमेल साक्षात्कार में कही.
नई दिल्ली:
धूप और गर्मी में कोरोनावायरस के फैलने का खतरा कम हो सकता है और बीसीजी वैक्सीन भी संक्रमण से आंशिक प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है. यह बात अमेरिका के यूपीएमसी शेडीसाइड पेंसिलवेनिया में डिस्चार्ज प्लानिंग के निदेशक रवि गोडसे ने एक ईमेल साक्षात्कार में कही.
गोडसे ने गंभीर रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग की सिफारिश भी की है.
साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
प्रश्न: हाल ही में व्हाइट हाउस ने कहा कि कोरोनावायरस का प्रसार गर्मी के महीनों में कम हो सकता है. मई और जून में देश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी चरम पर होगी। क्या आपको लगता है कि उच्च तापमान प्रकोप को रोकने में मदद करेगा?
उत्तर: गर्मी के महीनों में वायरल बीमारियां दूर हो जाती हैं. यह प्रवृत्ति अमेरिका जैसे देशों में अलग होती है, जहां अलग-अलग मौसम के साथ अत्यधिक ठंड (ज्यादातर राज्यों में) होती है और गर्मी भी होती है. गर्मियों में जहां सामाजिक गतिविधि अक्सर बाहरी स्थानों पर होती है, वहीं सर्दियों में गतिविधियां अधिकतर भीड़ वाले स्थानों और घर के अंदर होती हैं.
गर्मियों में आद्र्रता ऊपर भी जा सकती है, जिसका अर्थ है कि हवा में अधिक पानी की बूंदें होगी. अगर हवा पानी से संतृप्त या नम है और कोई व्यक्ति ऐसी हवा में वायरस की बूंदों को छींक के जरिए बाहर निकालता है तो संभावना है कि बूंदें जमीन पर तेजी से गिरेंगी, जिससे कम संक्रामक होने की संभावना है. इस तरह से इसका संक्षिप्त उत्तर है हां, क्योंकि इस लिहाज से गर्मी व धूप बेहतर हो सकती है.
प्रश्न: हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रकोप को रोकने के प्रयासों ने भारत को तीसरी स्टेज या सामुदायिक संक्रमण के चरण में जाने से बचाया है. कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 रोग नियंत्रण में है. देश में 20,000 से अधिक सक्रिय मामलों के साथ, क्या आपको लगता है कि चीजें नियंत्रण में हैं?
उत्तर: भारत एक बड़ा और आबादी वाला देश है और संभवत: अमेरिका के समान व्यवहार करेगा (हालांकि भारत में कम विदेशी यात्री हैं). अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को इंडियानापोलिस से बहुत अलग है; न्यूयॉर्क लास वेगास से अलग है. इसी तरह अगरतला मुंबई से अलग है और चेन्नई शिमला से अलग है. इसलिए भारत ऐसा व्यवहार करेगा जैसे कि अलग-अलग राज्य अलग-अलग राष्ट्र हों.
यह संभव है कि बीसीजी वैक्सीन (पहले से ही सभी भारतीयों को दी गई है) आंशिक प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है. मौसम मदद कर सकता है.
प्रश्न: प्लाज्मा थेरेपी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर: गंभीर रोगियों के लिए प्लाज्मा का उपयोग करें. अगर हमें तीन सप्ताह में इसकी आवश्यकता है तो आज ही प्लाज्मा को इकट्ठा करना शुरू क.
प्रश्न: अगर ठीक होकर दोबारा से बीमारी के चपेट में आने वाली स्थिति नहीं होती है और जुलाई में मामलों की संख्या में भारी वृद्धि नहीं होती है तो क्या यह कोरोना के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जाएगी?
उत्तर: एक ठीक हुए मरीज या समुदाय में होने वाले मामले के संदर्भ में दोबारा से ग्रस्त होने की बात की जा सकती है. जब कोई मरीज संक्रमित हो जाता है तो वह पहले आईजीएम, फिर आईजीजी एंटीबॉडी विकसित करता है। कुछ वायरल बीमारियों में (जैसे चिकन पॉक्स) सुरक्षा आजीवन हो सकती है. हमें नहीं पता है कि कोरोना के लिए आईजीजी सुरक्षा ठीक हो चुके मरीजों में कब तक रहेगी. अगर यह टिकाऊ है तो फिर से बीमारी से ग्रस्त नहीं होना चाहिए.
प्रश्न: हमें इस वायरल संक्रमण पर सीमित अनुभव है. इन परिस्थितियों में क्या हम कह सकते हैं कि लोग इस संक्रमण से बचने के लिए स्थायी एंटीबॉडी विकसित करेंगे?
उत्तर: इसके बारे में हमें केवल परीक्षण द्वारा पता चलेगा. एंटीबॉडी परीक्षण एक उपकरण होगा और इसे बिना कोई परवाह किए नियोजित करने की आवश्यकता है. अगर वायरस के खिलाफ आईजीजी विकसित होती है, ऐसे लोगों में भविष्य में बीमारी से प्रतिरक्षा दिखाई देगी। इससे देश को खोलने (लॉकडाउन) और अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी. याद रखें कि वैक्सीन भी आने वाली है, जो कि कृत्रिम रूप से भी स्थायी एंटीबॉडी को प्रेरित करने की कोशिश करेगी.
प्रश्न: कोविड-19 के साथ कई अनिश्चितताएं हैं. एक बड़ी अनिश्चितता यह है कि क्या लोगों को फिर से वायरस हो सकता है. साक्ष्यों से पता चलता है कि ऐसा हो सकता है. कितने समय में हम वैक्सीन प्राप्त कर सकते हैं? इस वैक्सीन के बाद क्या हम कह सकते हैं कोरोनोवायरस के खिलाफ युद्ध जीत लिया गया है?
उत्तर: हमें यह जानने से पहले कि लोग पुन: संक्रमित हो रहे हैं, यह जानने की आवश्यकता है कि क्या वे पहले संक्रमित थे। क्या होगा, अगर उक्त व्यक्ति का किया गया पहला पॉजिटिव परीक्षण ही गलत हो? इसमें भ्रम की पर्याप्त गुंजाइश है। अगर कोई पहले परीक्षण में पॉजिटिव, दूसरे में नेगेटिव और तीसरे परीक्षण में फिर से पॉजिटिव पाया जाता है तो आप उन तीन परीक्षणों में से किसी में त्रुटि की संभावना को तो शामिल करेंगे ही.इस तरह की परिस्थिति में आप वास्तव में नहीं जान पाएंगे.
जल्द ही वैक्सीन आने की संभावना है. ऐसी कई दवाएं भी हैं, जिनसे बीमारी को काटने की कोशिश की जा रही है.