गुड़िया गैंगरेप पर दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसला सुनाया है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है. अब 30 जनवरी को सजा पर बहस होगी. आरोपी प्रदीप और मनोज शाह दोनों दोषी करार दिए गए. कोर्ट ने कहा कि इस अपराध ने देश की चेतना को झकझोर दिया था. आरोपियों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं. फैसले की तारीख अभी नहीं आई है. मूल केस डायरी को 24 जनवरी को उपलब्ध कराने को कोर्ट ने कहा है. वहीं दोनों में से एक दोषी ने सुनवाई के बाद कोर्ट से बाहर निकलते हुए पत्रकारों पर हमला कर दिया. उसके फोन छीनने की कोशिश की.
Karkardooma Court in Delhi: One of the two convicts in 2013 kidnapping and rape case of a 5-year-old girl in Gandhi Nagar, attacked journalists and tried to snatch their mobile phones also, while coming out from the court after hearing. https://t.co/gnGKiQcbN4 pic.twitter.com/fqb3qCvgqQ
— ANI (@ANI) January 18, 2020
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बता दें कि निर्भया केस के बाद अप्रैल 2013 में मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी ने सामूहिक चेतना को झकझोर दिया था. आरोपी प्रदीप और मनोज शाह पर आरोप है कि उन्होंने पांच साल की बच्ची को किडनैप कर घर के अंदर बंधक बनाकर गैंगरेप किया था. मासूम के शरीर के अंदर कांच की बोतल और मोमबत्ती डाली थी. मासूम बच्च्ची को मरा हुआ समझकर दोनों आरोपी बाहर से ताला लगाकर भाग गए थे. करीब 40 घन्टे बाद बच्ची को बाहर निकाला गया था. खून से लथपथ मासूम बच्ची को कई सर्जरी के बाद बचाया जा सका. कोर्ट ने दोनों को पोक्सो एक्ट, रेप, अपहरण, सबूतों के साथ छेड़छाड़ का दोषी करार दिया है. जिन धाराओं के तहत दोषी करार दिया है, उनमें उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है.
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देश की राजधानी दिल्ली निर्भया गैंगरेप से ही कलंकित नहीं हुई है, बल्कि इसी तरह का जघन्य अपराध पांच साल की बच्ची गुड़िया के साथ भी घटित हुई थी. इसी मामले में यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब निर्भया केस के चार महीने बाद ही 15 अप्रैल 2013 को पांच साल की गुड़िया को दो लोगों ने अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया था. गुड़िया गैंगरेप केस में पुलिस ने दो आरोपियों को बिहार और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दोनों आरोपी के खिलाफ गैंगरेप, सबूत मिटाने, जान से मारने, किडनैपिंग और पॉक्सो एक्ट (Pocso) के तहत मामला दर्ज किया था. गुड़िया के आरोपी मनोज शाह और प्रदीप दोनों पड़ोसी थे. इस मामले की सुनवाई पूरी होने में वक्त इसलिए भी लगा, क्योंकि इस मामले में आरोपी प्रदीप ने खुद को नाबालिग बताया था.