सरकार का दावा, 2017-18 वित्तीय वर्ष में टारगेट से ज्यादा रहा डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन
वित्त मंत्रालय की तरफ से सोमवार को दिए गए बयान में कहा गया है कि सराकर ने डायरेक्ट टैक्स को लेकर जो अमुमान रखा था आंकड़ा मार्च के अंत तक उसे पार कर क़रीब 90000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
नई दिल्ली:
सरकारी रिपोर्ट की माने तो हाल के दिनों में देश में इमकम टैक्स कलेक्शन का दायरा बढ़ा है।
इस बारे में वित्त मंत्रालय की तरफ से सोमवार को दिए गए बयान में कहा गया है कि सराकर ने डायरेक्ट टैक्स को लेकर जो अमुमान रखा था आंकड़ा मार्च के अंत तक उसे पार कर क़रीब 90000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
वहीं जीएसटी रिफंड 17,616 करोड़ रुपए रहा। फाइनेंस सेक्रेटरी ने कहा कि 2017-18 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन टारगेट से ज्यादा हो गया है।
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि अभी तक 200 एंटी- प्राफटिरिंग की शिकायतें मिली है। वहीं मुख्य निदेशक (डीजी), जीएसटी के इंटेलिजेंस ने अब तक 200 करोड़ रुपए के ऐसे मामले पकड़े हैं जहां जीएसटी जमा तो हुई, लेकिन सरकार तक नहीं पहुंच पाई।
वहीं सीबीडीटी चेयरमैन सुशील चंद्रा ने बताया, '2017-18 का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 9.95 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष के टैक्स कलेक्शन के मुकाबले 17.1 प्रतिशत ज्यादा है।'
उन्होंने आगे कहा, 'फाइनैंशल इयर 2017-18 में 6.84 टैक्स रिटर्न्स फाइल किया गया, वहीं पिछले वित्त वर्ष में 5.43 करोड़ टैक्स रिटर्न्स फाइल किया गया था। यानि की पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले 2017-18 में 26 प्रतिशत ज्यादा टैक्स रिटर्न्स फाइल किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में कॉर्पोरेट टैक्स 17.1 प्रतिशत रहा और पर्सनल टैक्स 18.9 प्रतिशत।'
2017-18 direct tax collection at Rs 9.95 lakh crore, up 17.1% year-on-year. Nearly 6.84 Cr tax returns were filed vs 5.43 Cr, up 26% year-on-year and net corporate tax percentage at 17.1%, personal tax at 18.9%: CBDT Chairman pic.twitter.com/scoACWRIaf
— ANI (@ANI) April 2, 2018वहीं जीएसटी नेटवर्क के चेयरमैन ने ई-वे रोलआउट पर खुशी जताते हुए कहा कि वे अब तक के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं और आगे के लिए ई-वे सर्वर और अधिक लोड लेने को भी तैयार है।
आगे उन्होंने कहा कि ई-वे सिस्टम के अंतर्गत 35 राज्य और 2 सिस्टम को मिला दिया गया है और अब तक 1.36 करोड़ ट्रेडर्स और 11 लाख से अधिक डीलर्स ई-वे बिल पर रजिस्टर हो चुके हैं।
बता दें कि 1 अप्रैल को नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही ई-वे बिल भी लागू कर दिया गया है।
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