फेसबुक डेटा लीक: सरकार ने FB को जारी किया नोटिस, 7 अप्रैल तक मांगा जवाब
कैंब्रिज एनालिटिका लंदन में स्थित एक निजी कंपनी है, जो डाटा एनालिसिस का काम करती है। इसके सहारे कंपनी चुनावी रणनीति तैयार करने में राजनीतिक पार्टियों की मदद करती है।
नई दिल्ली:
फेसबुक यूजर्स के पर्सनल डेटा चोरी करने के खुलासे के बाद मोदी सरकार ने फेसबुक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सरकार ने फेसबुक से पूछा है कि क्या कैंब्रिज एनालिटिका या किसी अन्य फर्म ने भारतीय वोटर्स और यूजर्स के पर्सनल डेटा का इस्तेमाल किया है? क्या भारतीय चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने में भी फेसबुक डेटा का इस्तेमाल हुआ है?
संचार और सूचना तकनीकी मंत्रालय ने इन सवालों के जवाब देने के लिए फेसबुक को 7 अप्रैल 2018 तक का वक्त दिया है। इससे पहले भी शुक्रवार को सरकार ने फेसबुक को नोटिस जारी किया था और कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा हासिल किए गए डेटा की डिटेल मांगी थी।
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संचार और सूचना तकनीकी मंत्रालय ने नोटिस में यह भी पूछा है कि क्या फेसबुक या उससे जुड़ी एजेंसियां या किसी अन्य फर्म भारतीय चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के प्रयासों में शामिल रही हैं?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Meity) ने अपने बयान में कहा, 'ऐसा महसूस हुआ है कि फेसबुक से डेटा लीक के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है। इसीलिए 28 मार्च 2018 को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने फेसबुक को नोटिस जारी किया है।'
सरकार ने फेसबुक से यह भी विवरण मांगा है कि अगर किसी फर्म ने डेटा का इस्तेमाल किया है तो उससे सुरक्षा के लिए किस तरह के कदम उठाए हैं? यूजर्स के पर्सनल डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है?
इसके पहले सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या उसने भारतीयों का डेटा भी हासिल किया था। कंपनी को 31 मार्च तक का जवाब देने का वक्त दिया गया है।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने वाली एक कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर 5 करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं की निजी जानकारी चुराने का आरोप लगा।
बताया गया है कि फेसबुक यूजर्स की इन जानकारी का उपयोग करके वोटर्स को प्रभावित किया गया और चुनाव में ट्रंप के पक्ष में वोटिंग करवाई गई।
बता दें कि कैंब्रिज एनालिटिका लंदन में स्थित एक निजी कंपनी है, जो डाटा एनालिसिस का काम करती है। इसके सहारे कंपनी चुनावी रणनीति तैयार करने में राजनीतिक पार्टियों की मदद करती है।
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