मॉब लिंचिंग पर मोदी सरकार सख्त, गृह मंत्री और गृह सचिव की अगुआई में दो उच्चस्तरीय कमेटी का गठन
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर केंद्र सरकार ने सोमवार को सख्त कदम उठाते हुए दो उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है जो इन घटनाओं से निपटने और कानूनी ढांचा तैयार करने पर सुझाव देंगे।
नई दिल्ली:
मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) की बढ़ती घटनाओं पर केंद्र सरकार ने सोमवार को सख्त कदम उठाते हुए दो उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है जो इन घटनाओं से निपटने और कानूनी ढांचा तैयार करने पर सुझाव देगी।
इनमें से एक कमेटी केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और दूसरी केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में बनाई गई है।
केंद्र सरकार का यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लिया गया है जिसमें कोर्ट ने सरकार को लिंचिंग की घटनाओं से निपटने के लिए अलग कानून बनाने और कार्रवाई करने को कहा था।
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, 'भीड़ हिंसा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सम्मान करते हुए सरकार ने राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है जिसमें भीड़ हिंसा और हत्या पर कड़े कदम उठाने को कहा गया है और कानून के हिसाब से उपर्युक्त कार्रवाई करने को कहा है।'
इस स्थिति से निपटने के लिए, सरकार ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है जो मामलों पर विचार-विमर्श करने के बाद सिफारिशें करेगी।
इस कमेटी में न्याय, कानून, विधायी और सामाजिक न्याय और अधिकार विभागों के सचिवों को सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी चार हफ्तों के अंदर सरकार को अपनी सिफारिशें जमा करेगी।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, सरकार ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की एक और कमेटी गठित की है जो सचिवों की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर विचार करेगी।
मंत्रियों के समूह वाली कमेटी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत शामिल हैं।
मंत्रियों के समूह वाली कमेटी अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपेगी।
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बता दें कि हालिया मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारण सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार यह कदम उठाने जा रही है। इन घटनाओं पर सरकार संसद में भी चौतरफा घिर रही है।
अभी हाल ही में 20 जुलाई को अलवर जिले में गो तस्करी के संदेह पर 28 वर्षीय अकबर खान की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिस प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
वहीं कुछ सप्ताह पहले महाराष्ट्र के धुले में बच्चा चोरी के शक पर भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। वहीं असम में भी बच्चा चोरी के अफवाह पर ही दो लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी।
पिछले चार महीने में व्हाट्सएप के जरिये फैले अफवाहों के आधार पर देश के अलग-अलग हिस्सों में भीड़ ने 25 से ज्यादा जानें ले ली है।
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