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शेख मुजीबुर को 2020 का और ओमान के सुलतान को 2019 का गांधी शांति पुरस्कार 

वर्ष 2020 के लिए गांधी शांति पुरस्कार बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को और 2019 का पुरस्कार ओमान के दिवंगत सुल्तान काबूस बिन अल सैद को दिया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को गांधी शांति पुरस्कारों की घोषणा की है.

News Nation Bureau
| Edited By :
22 Mar 2021, 11:42:57 PM (IST)

नई दिल्ली:

Gandhi Peace Prize : वर्ष 2020 के लिए गांधी शांति पुरस्कार बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को और 2019 का पुरस्कार ओमान के दिवंगत सुल्तान काबूस बिन अल सैद को दिया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को गांधी शांति पुरस्कारों की घोषणा की है. बांग्लादेश में मुजीबुर रहमान को राष्ट्र का जनक माना जाता है. संस्कृत मंत्रालय ने बताया कि 2019 का गांधी शांति पुरस्कार भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और खाड़ी क्षेत्र में शांति तथा अहिंसा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने के लिए ओमान के (दिवंगत) सुल्तान काबूस बिन सैद अल सैद को दिया जाएगा.

बंगबंधु का 7 मार्च का भाषण स्वतंत्रता चाहने वाले बंगालियों का 'मैग्नाकार्टा'

बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान द्वारा 7 मार्च, 1971 को दिया गया ऐतिहासिक भाषण स्वतंत्रता चाहने वाले बंगालियों के लिए 'मैग्नाकार्टा' के रूप में माना जाता है. साथ ही यह देश को पाकिस्तान की बेड़ियों से मुक्त कराने का एक प्रेरणा भी माना जाता है. रहमान ने ढाका के रमना रेस कोर्स में उस दिन 10 लाख से अधिक लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, "आज, मैं आपके सामने भारी मन से उपस्थित हुआ. आप सब कुछ जानते हैं और समझते भी हैं. हमने अपने जीवन को दांव पर लगा दिया. लेकिन दुखद बात यह है कि आज ढाका, चट्टोग्राम, खुलना, राजशाही और रंगपुर की सड़कें हमारे भाइयों के खून से रंग गई हैं. आज बंगाल के लोग आजादी चाहते हैं, बंगाल के लोग जिंदा रहना चाहते हैं, बंगाल के लोग अपना अधिकार चाहते हैं. हमने क्या गलत किया?"

पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के शक्तिशाली राजनीतिक एवं सैन्य प्रतिष्ठान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान रहमान द्वारा यह भाषण दिया गया था. तत्कालीन पाकिस्तान सैन्य शासक ने रेडियो और टेलीविजन पर उनके भाषण को लाइव प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी थी. पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निगम के तत्कालीन अध्यक्ष एएचएम सलाहुद्दीन और पूर्वी पाकिस्तान से नेशनल असेंबली के सदस्य एम अबुल खैयर ने भाषण के वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड करने की व्यवस्था की.

ऑडियो को ढाका रिकॉर्ड द्वारा विकसित और संग्रहित किया गया था, जिसके मालिक अबुल खैयर थे. बाद में ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिग की एक प्रति शेख मुजीब को सौंप दी गई और दूसरी भारत को भेज दिया गया. ऑडियो की तीन हजार प्रतियां भारतीय रिकॉर्ड ब्रांड एचएमवी रिकॉर्डस द्वारा दुनिया भर में वितरित की गईं.

इस भाषण ने बंगाली लोगों को पश्चिम पाकिस्तान द्वारा सशस्त्र लामबंदी की व्यापक रिपोटरें के बीच स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए तैयार करने के लिए प्रेरित किया. बांग्लादेश मुक्ति युद्ध 18 दिनों के बाद शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना ने बंगाली नागरिकों, बुद्धिजीवियों, छात्रों, राजनेताओं और सशस्त्र कर्मियों के खिलाफ 'ऑपरेशन सर्चलाइट' शुरू किया. इसे मानव इतिहास का सबसे बुरा नरसंहार माना जाता है.

The Gandhi Peace Prize for the year 2019 is being conferred on (Late) His Majesty Sultan Qaboos bin Said Al Said of Oman: Ministry of External Affairs pic.twitter.com/ocHUHYzcwK

— ANI (@ANI) March 22, 2021

30 अक्टूबर, 2017 को, यूनेस्को ने मेमोरी ऑफ द वल्र्ड रजिस्टर में एक वृत्तचित्र विरासत के रूप में इस भाषण को जोड़ा. भाषण में, बंगबंधु ने एक सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए अपने निर्देशों की घोषणा की. इसमें लोगों को कर का भुगतान नहीं करने, सरकारी कर्मचारियों को केवल रहमान से आदेश लेने, सचिवालय, सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों और पूर्वी पाकिस्तान में अदालतों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार हड़ताल करने, केवल स्थानीय और अंतर-जिला टेलीफोन लाइनों को कार्य करने, रेलवे और बंदरगाहों काम जारी रखने की हिदायत दी गई थी. 

रेलवे और बंदरगाहों के कर्मचारियों को यह हिदायत दी गई थी कि अगर उनका उपयोग पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के दमन के लिए किया जाता है तो उन्हें को-ऑपरेट नहीं करना चाहिए. यह भाषण लगभग 19 मिनट तक चला और इस बार हमारा संघर्ष हमारी स्वतंत्रता के लिए है. इस बार हमारा संघर्ष हमारी स्वतंत्रता के लिए है. जय बांग्ला के उद्घोष के साथ इसका समापन हुआ.