.

AAP के 20 अयोग्य करार दिए गए विधायकों पर दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आज

दिल्ली हाई कोर्ट लाभ के पद मामले में अयोग्य करार दिए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगी।

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Mar 2018, 10:33:38 AM (IST)

highlights

  • 21 जनवरी को राष्ट्रपति ने इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने को स्वीकार किया था
  • HC ने चुनाव आयोग को उप-चुनाव के लिये नोटिफिकेशन जारी न करने का आदेश दिया था
  • केजरीवाल सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था

नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट लाभ के पद मामले में अयोग्य करार दिए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगी।

इससे पहले 30 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से अयोग्य विधायकों की याचिका पर लिखित जवाब मांगा था।

19 जनवरी को चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने को स्वीकार कर लिया था जो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए थे।

हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को चुनाव आयोग को अपना आदेश जारी किया था, जिसमें उसने आयोग को उप-चुनाव के लिये नोटिफिकेशन जारी न करने का आदेश दिया था।

लाभ के पद मामले में इन आप विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। जिसके खिलाफ इन विधायकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या है मामला-

बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। जिसके बाद प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी।

इसके बाद चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को कारण बताओ नोटिस दिया था।

साल 2015 के मार्च में आप सरकार दिल्ली की विधानसभा में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य निवारण) अधिनियम 1997 पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पद को 'लाभ के पद' की परिभाषा से बाहर रख दिया था और यह कानून पिछली तिथि से लागू किया था।

हालांकि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस कानून को अपनी सहमति नहीं दी थी।

इसके बाद इन नियुक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2016 के सितंबर में अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया गया, क्योंकि यह आदेश 'लेफ्टिनेंट गवर्नर की सहमति/अनुमोदन के बिना' पारित किया गया था।

और पढ़ें: राज्यसभा चुनाव LIVE: दसवीं सीट पर यूपी में दंगल, क्रॉस वोटिंग के आसार