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कोरोना का डेल्टा वेरिएंट 100 से अधिक देशों में फैला: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट 100 से अधिक देशों में फैल गया है

News Nation Bureau
| Edited By :
19 Jul 2021, 11:27:55 PM (IST)

highlights

  • WHO ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट 100 से अधिक देशों में फैल गया 
  • जल्द ही विश्व स्तर पर सबसे प्रमुख COVID19 स्ट्रेन बन जाएगा
  • WHO ने कहा संक्रमण के सभी रूपों में डेल्टा सबसे तेजी से फैलता है

नई दिल्ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट 100 से अधिक देशों में फैल गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह फैल रहा है वह जल्द ही विश्व स्तर पर सबसे प्रमुख COVID19 स्ट्रेन बन जाएगा. संक्रमण के सभी रूपों में डेल्टा सबसे तेजी से फैलता है. डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने आगे कहा कि WHO के COVID-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस (COVAX) कार्यक्रम के माध्यम से भारत को मॉडर्न वैक्सीन की 7.5 मिलियन खुराक की पेशकश की गई है.

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कोविड वायरस का डेल्टा वैरिएंट अपने पूर्ववर्ती अल्फा वैरिएंट से 40 से 60 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है और यह अब तक ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर आदि 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है. हाल के एक साक्षात्कार में इंडियन सार्स-कोव-2 जेनोमिक्स कॉन्सॉर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के सह-अध्यक्ष डॉ. एन के अरोड़ा ने वैरिएंट की जांच और उसके व्यवहार के हवाले से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)के बारे में चर्चा करते हुए यह बात कही. नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड-19 वकिर्ंग ग्रुप के प्रमुख अरोड़ा ने यह भी कहा कि यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन से बना है, जो उसे एसीई2 रिसेप्टर से चिपकने में मदद करता है. एसीआई2 रिसेप्टर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है, जिनसे यह मजबूत से चिपक जाता है। इसके कारण यह ज्यादा संक्रामक हो जाता है और शरीर की रोग-
प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो जाता है.

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उन्होंने कहा कि ऐसे अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि इस वैरिएंट में ऐसे कुछ म्यूटेशन हैं, जो संक्रमित कोशिका को अन्य कोशिकाओं से मिलाकर रुग्ण कोशिकाओं की तादाद बढ़ाते जाते हैं. इसके अलावा जब ये मानव कोशिका में घुसपैठ करते हैं, तो बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं. इसका सबसे घातक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है. बहरहाल, यह कहना मुश्किल है कि डेल्टा वैरिएंट से पैदा होने वाली बीमारी ज्यादा घातक होती है. भारत में दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतें और किस आयुवर्ग में ज्यादा मौतें हुईं, ये सब पहली लहर से मिलता-जुलता ही है. कोविड-19 के बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट कहा जाता है. पहली बार इसकी शिनाख्त भारत में अक्टूबर 2020 में की गई थी. हमारे देश में दूसरी लहर के लिये यही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है. आज नए कोविड-19 के 80 प्रतिशत मामले इसी वैरिएंट की देन हैं. यह महाराष्ट्र में उभरा और वहां से घूमता हुआ पश्चिमी राज्यों से होता हुआ उत्तर की ओर बढ़ा. फिर देश के मध्य भाग में और पूर्वोत्तर राज्यों में फैल गया.