स्वतंत्रता दिवस समारोह में बोले CJI, संस्थाओं को तोड़ना आसान लेकिन चलाना मुश्किल
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने आपकी तारीफ पाने के लिए लड़ाई नहीं लड़ी। हमें उनके सपनों का भारत बनाना है। ये उनका सम्मान होगा।
नई दिल्ली:
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान कहा कि किसी भी संस्था की आलोचना करना या उसे तोड़ने या नष्ट करने की कोशिश करना बहुत आसान है। इसके उलट किसी भी संस्थान को आगे ले जाना काफी मुश्किल है क्योंकि इसके लिए अपनी आकांक्षाओं और शिकायतों को भूलना होता है। किसी भी संस्था को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक विचारधारा के साथ रचनात्मक क़दम उठाने की आवश्यकता होती है। तर्कसंगतता, परिपक्वता, ज़िम्मेदारी और धैर्य के साथ ठोस सुधार करने की ज़रूरत है। तभी कोई संस्था आगे बढ़ सकता है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने आपकी तारीफ पाने के लिए लड़ाई नहीं लड़ी। हमें उनके सपनों का भारत बनाना है। ये उनका सम्मान होगा।
चीफ जस्टिस ने गोखले, तिलक के बाद गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधी का सबसे बड़ा योगदान ये है कि उन्होंने भारतीयों के दिमाग से डर हटा दिया। गुलामी की भावना हटा दी। कुछ ताकतें संस्था (न्यायपालिका) को कमज़ोर करने की कोशिश करती हैं। हम सब मिल कर ऐसा नहीं होने देंगे।
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वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम PIL का सम्मान करते हैं मगर कोर्ट को शासन का काम उन लोगों पर छोड देना चाहिए जिन्हें लोगों ने चुनकर भेजा है। कोर्ट तभी दखल दे जब सरकार कुछ गलत कर रही हो।