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बंगाल में ज्यादा सीटों के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देगी कांग्रेस

कांग्रेस का मुख्य ध्यान सीटों की गुणवत्ता पर होगा न कि बिहार में इसके विपरीत सीटों की मात्रा पर.

News Nation Bureau
| Edited By :
16 Jan 2021, 04:08:08 PM (IST)

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस आगामी चुनावों के लिए वाम दलों के साथ सीट साझा करने को लेकर बातचीत में लगी हुई है, जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने वाम दलों और कांग्रेस से हाथ मिलाने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है. हालांकि कांग्रेस और वाम दल टीएमसी की अनदेखी कर रहे हैं. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को सोनिया गांधी से बात करने की सलाह दी है. 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के मई के आसपास चुनाव होने वाले हैं.

सीटों के बंटवारे के समझौते पर सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस का मुख्य ध्यान सीटों की गुणवत्ता पर होगा न कि बिहार में इसके विपरीत सीटों की मात्रा पर, जहां पार्टी ने कई सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे महज 19 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई थी. कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए वाम दलों के साथ सीटों पर समझौते के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, सीएलपी नेता अब्दुल मनन, पूर्व राज्य प्रमुख प्रदीप भट्टाचार्य और नेपाल महतो शामिल हैं.

समिति ने ऐसी सीटों की पहचान की है, जहां उसका आधार मजबूत हो सकता है. इसके बाद पार्टी सभी संभावनाओं के साथ वाम दलों से बातचीत कर रही है. समिति के सदस्यों में से एक ने कहा, 'हम केवल मजबूत सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.' बिहार चुनाव के नतीजों ने पार्टी को अधिक सीटें मिलने की संभावनाएं कम कर दी हैं. बिहार में कांग्रेस स्ट्राइक रेट को बरकरार नहीं रख सकी थी. कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक जीत नहीं मिला, जिसकी कीमत राजद गठबंधन को चुकानी पड़ी.

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि बिहार के नतीजों का पश्चिम बंगाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि हर राज्य अलग है और 2016 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह कांग्रेस ही थी जो 44 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस और वाम दलों को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले पांच वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में खुद को मजबूत किया है. भगवा पार्टी ने राज्य में 18 लोकसभा सीटें जीती हैं, जबकि राज्य में वाम दल अपना खाता भी नहीं खोल सके थे.