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देश छोड़कर पाकिस्तान गए लोगों के वापस भारत आने पर कोर्ट ने दिखाई सख्ती, जनवरी में होगी अगली सुनवाई

इसके खिलाफ कश्मीर पैंथर पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ये क़ानून असंवैधानिक और मनमाना है।

NEWS NATION BUREAU
| Edited By :
13 Dec 2018, 02:29:36 PM (IST)

NEW DELHI:

जम्मू कश्मीर पुनर्वास कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस ने पूछा है कि आखिर विभाजन के दौरान पाकिस्तान जा चुके लोगों के वंशजों को भारत में फिर से रहने की इजाज़त कैसे दी जा सकती है। कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से पूछा है कि राज्य में पुर्नवास के लिए अभी तक कितने लोगों ने अप्लाई किया है। ये क़ानून विभाजन के दौरान 1947- 54 के बीच पाकिस्तान जा चुके लोगों को हिंदुस्तान में पुर्नवास की इजाज़त देता है।

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इसके खिलाफ कश्मीर पैंथर पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ये क़ानून असंवैधानिक और मनमाना है। इसके चलते राज्य की सुरक्षा को खतरा हो गया है। केंद्र सरकार ने भी याचिकाकर्ता का समर्थन किया है। कोर्ट में सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पहले ही कोर्ट में हलफनामा दायर कर ये साफ कर चुका है कि वो विभाजन के दौरान सरहद पार गए लोगों की वापसी के पक्ष में नहीं है।

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वहीं जम्मू कश्मीर सरकार ने सुनवाई टालने की मांग की। राज्य सरकार का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 35 A को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला नहीं दे देता, तब तक इस पर विचार न हो। मामले की अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे हफ्ते में होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट 2016 में संकेत दे चुका है कि ये मामला विचार के लिए संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है।