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महाकाली नदी के ऊपर धारचुला में बनेगा पुल, भारत-नेपाल दोस्ती का एक और कदम

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी. सरकारी बयान के अनुसार, इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और बेहतर होंगे.

News Nation Bureau
| Edited By :
06 Jan 2022, 06:33:21 PM (IST)

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने धारचूला में महाकाली नदी पर पुल के निर्माण के लिए भारत एवं नेपाल के बीच समझौत ज्ञापन (एमओयू) को बृहस्पतिवार को अनुमति प्रदान कर दी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी. सरकारी बयान के अनुसार, इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और बेहतर होंगे.इसमें कहा गया है कि घनिष्ठ पड़ोसियों के रूप में, भारत और नेपाल के बीच मित्रता तथा सहयोग का अनूठा संबंध है, जो एक खुली सीमा के साथ-साथ जन-जन के बीच गहरे संबंधों और संस्कृति से प्रमाणित है. भारत और नेपाल दोनों दक्षेस, बिम्सटेक जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों के साथ-साथ वैश्विक मंचों पर एक साथ काम कर रहे हैं.

ब्रिज बनाने का फैसला किया गया है. दोनों देशों के बीच जल्द ही MOU साइन होगा. इससे उत्तराखंड और नेपाल से लगे लोगों को लाभ मिलेगा. भारत और नेपाल सदियों से एक दूसरे के सहयोगी रहे हैं. इस परियोजना के पहले भी दोनों देशों के बीच कई योजनाओं में सहभागिता रही है.

इसके पहले  भारत ने 106 किलोमीटर लंबी कोशी कारिडोर ट्रांसमिशन लाइन (Koshi Corridor Power Transmission line) नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी को सौंपी थी. इस लाइन पर 8.68 करोड़ डालर (करीब 650 करोड़ रुपये) की लागत आई है. यह धनराशि भारत ने उदार ऋण के रूप में नेपाल को दी है. इस परियोजना को भारत कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड ने पूरा करके नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी को सौंपा है.

इस परियोजना पर कार्य पूरा हो जाने पर अरुण और तामोर नदियों पर बनी परियोजनाओं से दो हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति संभव हो सकेगी. 220 किलोवाट की डबल सर्किट कोशी कारिडोर पावर ट्रांसमिशन लाइन के हस्तांतरण नेपाल के धनकुटा में हुआ था. इसमें निर्माणकर्ता कंपनी कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड और ऋण प्रदाता एक्जिम बैंक आफ इंडिया ने ट्रांसमिशन लाइन का हस्तांतरण किया.  

यह परियोजना भारत और नेपाल के द्विपक्षीय सहयोग को प्रदर्शित करने वाली है. नेपाल में बिजली वितरण व्यवस्था विकसित करने से प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग होगा. साथ ही बिजली बेचकर नेपाल को आर्थिक लाभ भी होगा. इस विद्युत परियोजना से पैदा बिजली नेपाल भारत को बेचेगा.