महाराष्ट्र से पहले इन राज्यों में भी बने थे गतिरोध के हालात, सभी मामले पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस जब तक एकमत हो पाते, 23 नवंबर को अचानक सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और एनसीपी नेता अजीत पवार डिप्टी सीएम बन गए.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही राजनीतिक गतिरोध कायम है. पहले तो बीजेपी और शिवसेना में ढाई-ढाई साल के सीएम पद को लेकर बात बिगड़ गई. इसके बाद शिवसेना ने एनडीए और बीजेपी से नाता तोड़ लिया. राज्यपाल ने पहले बीजेपी, शिवसेना और फिर बाद में एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन तीनों दलों में से कोई भी सरकार नहीं बना पाया तो 11 नवंबर को राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी जो उसी दिन से लागू भी हो गया.
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उसके बाद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार बनाने को लेकर माथापच्ची करते रहे. जब तक तीनों दल एकमत हो पाते, 23 नवंबर को अचानक सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और एनसीपी नेता अजीत पवार डिप्टी सीएम बन गए. उसके बाद से मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिस पर आज फैसला आने वाला है. आइए जानते हैं महाराष्ट्र से पहले किन-किन राज्यों में इस तरह के गतिरोध पैदा हुए, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना पड़ा.
- कर्नाटक-2018 : राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को सीएम की शपथ दिलाई, सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में बहुमत साबित करने को कहा.
- उत्तराखंड -2016 : कांग्रेस के 9 विधायकों ने बीजेपी के समर्थन का ऐलान किया, राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लगाया, SC ने सीएम हरीश रावत को बहुमत साबित करने का मौका दिया.
- झारखंड-2005 : अर्जुन मुंडा ने बहुमत का दावा किया, राज्यपाल ने शिबू सोरेन को सीएम पथ की शपथ दिला दी, सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण का आदेश दिया.
- उत्तर प्रदेश-1998 : राज्यपाल ने कल्याण सिंह को सीएम पद से हटाया, राज्यपाल ने जगदंबिका पाल को शपथ दिला दी, सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण का आदेश दिया.
- कर्नाटक-1994: एसआर बोम्मई सरकार को बर्खास्त कर दिया गया, बोम्मई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.