अयोध्या में अंग्रेजों के जमाने में किया गया था मंदिर होने का दावा, तब से अब तक की पूरी कहानी जानें
Ayodhya Issue : सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 16 अक्टूबर को अयोध्या विवाद की सुनवाई का आखिरी दिन है. आज सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रख सकता है.
16 Oct 2019, 11:46:03 AM (IST)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 16 अक्टूबर को अयोध्या विवाद की सुनवाई का आखिरी दिन है. आज सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रख सकता है. एक दिन पहले सीजेआई ने संकेत दिया था कि बुधवार को बहस पूरी हो जाएगी और फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा. आज सुनवाई के अंतिम दिन हिंदू पक्ष के वकील को 45 मिनट तो मुस्लिम पक्ष के वकील को 1 घंटे का वक्त बहस करने के लिए मिलेगा. आइए जानते हैं अयोध्या का विवाद कब शुरू हुआ? इलाहाबाद हाई कोर्ट का ताला कब खुला?
- 1813 में पहली बार मंदिर होने का दावा किया.
- 1859 में ब्रिटिश सरकार ने विवादित जगह पर तार की बाड़ बनवाई.
- 1885 में महंत रघुवर दास ने मंदिर बनाने की अनुमति मांगी.
- 1934 में विवादित क्षेत्र में पहली बार हिंसा हुई.
- 1950 गोपाल सिंह विशारद ने पूजा की अनुमति मांगी.
- 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने अपना हक जताया.
- 1961 में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मालिकाना हक का मुकदमा दायर किया.
- 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने मुद्दा बनाया.
- 1986 में बाबरी एक्शन कमेटी का गठन हुआ.
- 1986 में फैजाबाद कोर्ट ने पूजा की इज़ाजत दी.
- 6 दिसंबर 1992 में विवादित ढांचा गिराया गया.
- 2002 में अयोध्या विवाद की सुनवाई HC में शुरू.
- 2003 में ASI ने HC के आदेश पर खुदाई शुरु की.
- 2011 में हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटा.
- फरवरी 2011 में हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती.
- मई 2011 में सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई.
- फरवरी 2019 में मामले को मध्यस्थता कमेटी को सौंपा गया.
- 6 अगस्त से अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई.
6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई
- मुख्य दलील करीब 165 घंटे तक चली.
- हिंदू पक्ष ने 16 दिन में 67 घंटे 35 मिनट में दलीलें पेश कीं.
- मुस्लिम पक्ष ने 18 दिन में 71 घंटे 35 मिनट की दलीलें रखीं
- जवाबी जिरह में दोनों पक्षों ने 25 घंटे 50 मिनट लिए.
- दोनों पक्षों के वकील ने एक भी नया मुकदमा नहीं लिया
- वकीलों ने पुराने मामलों की सुनवाई की तारीख आगे बढ़वाई
- न्यायिक इतिहास में दूसरा सबसे लंबा चलने वाला मामला
- केशवानंद भारती केस में 68 दिन तक सुनवाई हुई थी
- हिंदू पक्ष ने कुरान और बाबरनामा को पढ़ा
- मुस्लिम पक्ष ने रामचरित मानस और स्कंद पुराण को पढ़ा
- मुस्लिम पक्ष ने करीब 700 किताबों का अध्ययन किया
- मुस्लिम पक्ष ने 10 लाख रुपए की किताबें खरीदी
- हिंदू पक्ष के वकीलों ने रोजाना 20 से 22 घंटे काम किया
- हिंदू पक्ष के वकील सिर्फ शनिवार-रविवार को चार घंटे सोते थे
- हिंदू पक्ष के वकीलों ने मुस्लिम शासकों के इतिहास को पढ़ा
- हिंदू पक्षकारों ने 7.5 लाख पन्नों की फोटोकॉपी करवाई
- मुस्लिम पक्ष ने 5 लाख पन्नों की फोटोकॉपी करवाई
हिन्दू पक्ष का दावा
- 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मंदिर था
- मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई
- विवादित जमीन पर हमारा मालिकाना हक
- 85 खंबे और ASI की रिपोर्ट से मंदिर की पुष्टि
- खुदाई में मिले अवशेष मंदिर के प्रमाण
- कुरान के मुताबिक मस्जिद में चित्रकारी की मनाही
- 1934 के बाद मुसलमानों ने नमाज बंद की
- विवादित जगह पर हिंदुओं ने पूजा जारी रखी
- हिंदू साल 1800 के पहले से लगातार पूजा कर रहे हैं
- केंद्रीय गुंबज के नीचे वाली जगह राम का जन्मस्थान
- नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो सकती
- आसपास कब्र हो तो नमाज नहीं पढ़ी जा सकती
मुस्लिम पक्ष का दावा
- विवादित जगह पर कोई मंदिर नहीं था
- सपाट जमीन पर मस्जिद का निर्माण
- मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई
- विवादित जगह पर राम का जन्म नहीं
- पुजारी की कही बात पर दावा कैसे ?
- अंग्रेज हमें ग्रांट भी देते थे
- अंग्रेजों ने हिंदुओं को केवल पूजा का हक दिया
- हमें नजाम पढ़ने से जबरन रोका
- नमाज बंद हो गई लेकिन कब्जा हमारा रहा
- ASI की रिपोर्ट सिर्फ विशेषज्ञों के विचार
- कई ऐसी मस्जिदें हैं जिनमें चित्रकारी की गई
- खुदाई से मिले अवेशष मस्जिद के हो सकते हैं
- मस्जिदों में चित्रकारी की मनाही का तर्क गलत
अयोध्या केस के वकील
हिंदू पक्ष
- के.परासरन (रामलला विराजमान)
- सीएस वैद्यनाथन (रामलला विराजमान)
- सुशील जैन (निर्मोही अखाड़ा)
- पीएन मिश्रा (जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति)
- एमसी ढिंगरा (शिया वक्फ बोर्ड)
मुस्लिम पक्ष
- राजीव धवन
- जफरयाब जिलानी
- मीनाक्षी अरोड़ा
- शेखर नाफड़े