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मुश्किल में AAP, चुनाव आयोग ने 21 विधायकों पर पार्टी की दलील को किया दरकिनार, क्या जाएगी सदस्यता?

चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी को करारा झटका दिया है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में चुनाव आयोग ने अपने आदेश में आम आदमी पार्टी की दलीलों को खारिज कर दिया है।

News Nation Bureau
| Edited By :
24 Jun 2017, 05:06:20 PM (IST)

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी को करारा झटका दिया है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में चुनाव आयोग ने अपने आदेश में आम आदमी पार्टी की दलीलों को खारिज कर दिया है।

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में पहले ही विधायकों की विवादित पद पर नियुक्ति को अवैध ठहरा चुका है।

दरअसल चुनाव आयोग लाभ के पद के मामले में सुनवाई कर रहा है। इस संबंध में आम आदमी पार्टी ने आयोग से अपील की थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट ने नियुक्तियां रद्द कर ही दी हैं तो अब आयोग को सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

लेकिन चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल सरकार की इस दलील को रद्द कर दिया है। इसके बाद अब राष्ट्रपति को भेजे जाने वाली राय के लिए सुनवाई की जाएगी।

सुनवाई के बाद आयोग राष्ट्रपति को अपना मत भेजेगा कि इन विधायकों की नियुक्ति की वैधता पर उठे सवालों के जवाब क्या हैं साथ ही इनकी सदस्यता का क्या होना चाहिए।

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क्या है मामला ?

- आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था।

- इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया था।

- राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। जिसमें कहा गया था कि क्योंकि यह लाभ का पद है ऐसे में इन विधायकगों की सदस्यतता रद्द की जानी चाहिए। 

- मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी।

- याचिका में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई 'आर्थिक लाभ' नहीं मिला है

- इसके बाद इस मामले को रफादफा करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में अपील की थी

- वहीं, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से भी इनकार कर दिया था।

- इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान किया गया था।

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