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संसद तो एक ही होती है...'किसान संसद' पर जानें क्या बोले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ?

नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रही किसान संसद का शनिवार को तीसरा दिन रहा

News Nation Bureau
| Edited By :
24 Jul 2021, 10:01:26 PM (IST)

highlights

  • दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रही किसान संसद का शनिवार को तीसरा दिन रहा
  • इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि संसद तो एक ही होती है

नई दिल्ली:

नए कृषि कानूनों के विरोध ( Farmer Protest against Farm Laws ) में दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रही किसान संसद का शनिवार को तीसरा दिन रहा. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसान संसद (Kisan Sansad) पर बड़ा बयान दिया. कृषि मंत्री ने कहा कि संसद तो एक ही होती है, जिसे जनता चुनकर भेजती है. जो यूनियन के लोग ऐसी बातें कर रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं वह निरर्थक है. हमने कई बार उनसे कहा कि आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए.

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आपको बता दें कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं ने घोषणा की है कि उनका इरादा राष्ट्रीय राजधानी के बीचों-बीच जंतर-मंतर पर 13 अगस्त तक 'किसान संसद' जारी रखने का है. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर किसानों के प्रदर्शन की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि 9 अगस्त को सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे के बीच अधिकतम 200 प्रदर्शनकारियों को अनुमति दी जाएगी. गुरुवार को आंदोलनकारी किसान जंतर-मंतर पर व्यापक इंतजामों के साथ पहुंचे. एक किसान नेता ने आईएएनएस को बताया कि एक लाख से अधिक किसान जंतर मंतर पहुंचने के लिए तैयार हैं, लेकिन पुलिस ने प्रतिदिन केवल 200 लोगों को ही जाने की अनुमति दी है.

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कृषि कानूनों के विरोध में ही किसान कल यानी रविवार को मेरठ में सुबह ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे. जानकारी के अनुसार इस दौरान लगभग 200 ट्रैक्टर गाजीपुर बोर्डर  पहुंचेंगे. बताया जा रहा है कि मेरठ से सटे जिले बिजनौर से भारी तदाद में लोग ट्रैक्टर लेकर गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए हैं.  गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश कई राज्यों के किसान पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अधिकांश रास्तों को घेर लिया है. सबसे ज्यादा किसान सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर पर डटे हैं, जिसकी वजह से दिल्ली के अधिकांश रास्ते जाम हो गए हैं. किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक कानून बनाए.