आंध्र प्रदेश के बाद बंगाल में भी बिना अनुमति के नहीं घुसेगी CBI, ममता बनर्जी ने आम सहमति को किया खत्म
ममता सरकार ने सीबीआई अधिकारियों को दी गई जांच के क्षेत्राधिकार की 'आम सहमति' को खत्म करने का फैसला किया. बंगाल में सीबीआई को जांच की आम सहमति 1989 में लेफ्ट फ्रंट सरकार ने दी थी.
नई दिल्ली:
आंध्र प्रदेश सरकार के द्वारा राज्य में बिना इजाजत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से छापा मारने या जांच करने पर रोक लगाने के कुछ ही घंटों बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसकी घोषणा कर दी. ममता सरकार ने सीबीआई अधिकारियों को दी गई जांच के क्षेत्राधिकार की 'आम सहमति' को खत्म करने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल में सीबीआई को जांच की आम सहमति 1989 में लेफ्ट फ्रंट सरकार ने दी थी. ममता के इस फैसले के बाद सीबीआई को बंगाल में भी किसी तरीके की छापेमारी या जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.
इससे पहले चंद्रबाबू नायडू के फैसले पर ममता बनर्जी ने अपनी सहमति जताई थी. उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने राज्य में सीबीआई की प्रवेश रोक कर अच्छा काम किया है. बीजेपी 'नोट चेंजर' हो सकती है, लेकिन 'गेम चेंजर' नहीं हो सकती.
आंध्र सरकार ने इसी वर्ष 3 अगस्त को सीबीआई को राज्य में उसकी शक्तियों और क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने पर अपनी आम सहमति दी थी. अब इसे डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत निरस्त कर दिया गया है.
दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के नियमों के मुताबिक सीबीआई की गठन हुआ था. सीबीआई के पास पूरी दिल्ली क्षेत्र में जांच का अधिकार है. लेकिन इसके अलावा वह दूसरे राज्यों में भी राज्य सरकार की 'आम सहमति' से प्रवेश कर सकती है.
अब बिना अनुमति के सीबीआई किसी मामले में दखलंदाजी नहीं दे सकती है जो आंध्र प्रदेश के क्षेत्राधिकार में है. चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने सीबीआई जैसी जिम्मेदारियां राज्य की जांच एजेंसी को दी हुई है. अब सीबीआई किसी प्रकार की छानबीन या छापेमारी नहीं कर सकती है. एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से अलग होने के बाद चंद्रबाबू नायडू का यह एक अहम फैसला है.
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राज्य को 'विशेष दर्जा' नहीं दिए जाने को लेकर चंद्रबाबू नायडू इसी साल एनडीए से अलग होने का फैसला किया था. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने अपने हित के लिए सीबीआई की छवि और साख को नीचे ला दिया.
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रवक्ता लंका दिनाकर ने कहा, 'यह निर्णय बीते 6 महीनों के दौरान सीबीआई में हो रही घटनाओं को लेकर लिया गया है. जांच एजेंसी ने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में अपनी स्वायत्ता खो दी है जिसका इस्तेमाल विपक्षी पार्टियों के खिलाफ औजार के रूप में मनगढ़ंत बयान बनाने के लिए हो रहा है.'