Aarey Colony Case: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- तुरंत रोकी जाए पेड़ों की कटाई, गिरफ्तार किए लोगों की हो रिहाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार लोगों की रिहाई के आदेश भी दिए हैं
नई दिल्ली:
मुंबई की आरे कॉलेनी में पेड़ कटाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. आज यानी सोमवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच कर रही है. इस मामले में याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े दलील दे रहे हैं. वहीं गोपाल शंकर नारायणन भी ज्ञापन देने वाले छात्रों की ओर से पेश हुए हैं. वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता और मुंबई मेट्रो की ओर से मनिंदर सिंह दलीलें रखेंगे.
सुनवाई के दौरान संजय हेगेडे ने कहा कि 1997 के गोदावमन मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वन क्षेत्र की परिभाषा अभी तक नहीं बदली है.
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कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई ऐसा नोटिफिकेशन है, जिसके जरिये आरे इलाके के इको - सेंसटिव जोन घोषित किया गया हो. कोर्ट ने कहा कि वकील गोपाल शंकर नारायणन का कहना है कि राज्य सरकार ने उस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया, क्या आप हमें वो नोटिफिकेशन दिखा सकते हैं. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमारी जानकारी के मुताबिक ये NO डेवलपमेंट ज़ोन था, ईको सेंसटिव जोन नहीं था. अगर ऐसा नहीं है, तो आप अपने दावे की पुष्टि के लिए दस्तावेज दिखाइए.
गोपाल शंकर नारायणन ने स्पष्ठ किया कि आरे का इलाका ईको सेंसटिव एरिया है या नहीं, ये मामला अभी NGT के पास पेंडिंग है. उससे पहले ऑथरिटी को पेड़ों की कटाई का काम शुरू नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा, गैरकानूनी तरीके से 4 अक्टूबर से वहां पेड़ो की कटाई का काम शुरु हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल पेड़ों की कटाई के काम को रोकने का आदेश दिया है. इसी के साथ महाराष्ट्र सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट भी मांगी है. इसेक अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार लोगों की रिहाई के आदेश भी दिए हैं.
Supreme Court asks Maharashtra Government to not cut more trees at #Aarey Colony. Solicitor General Tushar Mehta appearing for Maharashtra Government assures the bench that henceforth no trees will be cut. pic.twitter.com/oLSzCZsXcY
— ANI (@ANI) October 7, 2019वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि फिलहाल आरे कॉलोनी में एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा.
बता दें, रविवार को इस मामले में छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आरे में पेड़ों के काटे जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मामले में तुरंत सुनवाई करनी चाहिए और पेड़ों के काटने पर रोक लगानी चाहिए. याचिका दायर करने वाले लॉ के छात्र थे.
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बता दें बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से मुंबई की आरे कॉलोनी को जंगल घोषित करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने के बाद शुक्रवाद देर रात से पेड़ काटने का काम भी शुरू हो गया था. इसके विरोध में प्रदर्शनकारी वहां पहुंच गए और मेट्रो रेल साइट पर नारेबाजी भी की. इसके बाद आरे की तरफ जाने वाली सभी सड़कों पर पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए थे. इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई. इससे पहले विरोध प्रदर्शन कर रहीं शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.