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सेचुरेटेड फैट फूड खाने से बढ़ सकता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा

भारत में प्रोस्टेट कैंसर तीसरा सबसे प्रमुख कैंसर है और इसके लिए अलग किस्म के जीन जिम्मेदार हैं लेकिन बिगड़ती हुई जीवनशैली भी इसमें भरपूर योगदान करता है।

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ruchika sharma
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सेचुरेटेड फैट फूड खाने से बढ़ सकता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा

प्रोस्टेट कैंसर

भारत में प्रोस्टेट कैंसर तीसरा सबसे प्रमुख कैंसर है और इसके लिए अलग किस्म के जीन जिम्मेदार हैं लेकिन बिगड़ती हुई जीवनशैली भी इसमें भरपूर योगदान करता है। सेचुरेटेड फैट युक्त भोजन से इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। प्रारंभिक अवस्था में प्रोस्टेट कैंसर का 100 प्रतिशत निदान संभव है। प्रोस्टेट को बढ़ने में समय लगता है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि पुरुष इसकी जांच समय रहते करवा लें।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल और आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आर. एन. टंडन ने कहा, 'ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन बढ़ने, जीवन शैली में बदलाव, अधिक जागरूकता और प्रभावी चिकित्सा की उपलब्धता से अनेक मामलों में प्रोस्टेट कैंसर की जांच समय से होने लगी है। इस बीमारी की वृद्धि में हम पश्चिमी देशों से कतई पीछे नहीं हैं। एक ही जगह पर घंटों तक बैठे रहने और मोटापे के कारण भी पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होने लगा है।'

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उन्होंने कहा, 'सेचुरेटेड फैट की अधिकता वाले भोजन से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के बाद पशुओं से प्राप्त उच्च सेचुरेटेड फैट युक्त भोजन लेने वाले पुरुषों में सामान्य पुरुषों के मुकाबले यह रोग होने का खतरा दोहरा हो जाता है।'

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डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'एक बार पुष्टि होने के बाद अगला चरण होता है इसका दवाओं और सर्जरी के जरिए इलाज कराना। आम तौर पर, दवाइयों को मिला जुलाकर दिया जाता है ताकि प्रोस्टेट का आकार बढ़ने से रोका जा सके। इसे कॉम्बिेनशन थेरेपी भी कहते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को ये दवाएं छह से 12 माह तक दी जाती हैं। दूसरी अवस्था होती है सर्जरी की, वह तब जब कैंसर तेजी से फैल रहा हो। आजकल तो लेसर तकनीक से भी प्रोस्टेट कैंसर को हटा दिया जाता है।'

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प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर 60 से ज्यादा उम्र वाले पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाला कैंसर है। इस कैंसर के लक्षणों का अगर शुरुआती दौर में ही पता चल जाए तो इसे आसानी से रोका जा सकता है। प्रोस्टेट ग्लैंड अखरोट के आकार की एक ऐसी ग्रंथि है जो पेशाब की नली के चारों ओर होती है। इसका काम वीर्य में मौजूद एक द्रव पदार्थ का निर्माण करना है। आमतौर बहुत कम उम्र के पुरुषों में इस कैंसर की आशंका कम रहती है। 

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Source : IANS

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