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जानिए क्या होती है सरोगेसी

मातृत्व सुख को पाने के लिए अक्सर दंपति सरोगेसी का सहारा लेते है।

News Nation Bureau
| Edited By :
05 Mar 2017, 05:36:29 PM (IST)

नई दिल्ली:

मां बनना किसी महिला के लिेए एक सुखद अहसास माना जाता है। पर कई बार शारीरिक असमर्थताओं को चलते कुछ महिलाए इस सुख से वचिंत रह जाती है। इस मातृत्व सुख को पाने के लिए अक्सर दंपति सरोगेसी का सहारा लेते है। सोरगेसी की मदद ज्यादातर बच्चा कंसीव ना कर पाने, बार बार गर्भपात होने या फिर आईवीएफ तकनीक के फेल होने पर ली जाती है।

सरोगेसी, लैटिन भाषा में सबरोगेट शब्द से निकल कर आया है, जिसका मतलब किसी और को अपने काम के लिए नियुक्त करना होता है। इसमें पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु को लेकर इनक्यूबेटर में गर्भ जैसा माहौल दिया जाता है। भ्रूण तैयार होने पर उसे किसी तीसरी महिला में इंजेक्ट कर दिया जाता है। गर्भधारण करने वाली यह महिला सरोगेट मदर होती है। ट्रेडिशनल और जेस्‍टेशनल दो तरह की सरोगेसी होती है।

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ट्रेडिशनल यानि पारंपरिक सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक स्‍वस्‍थ महिला के अंडाणु के साथ प्राकृतिक रूप से निषेचित किया जाता है। शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के नेचुरल ओव्‍युलेशन के समय डाला जाता है। इसमें जेनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।

जेस्‍टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्‍चे का जेनेटिक संबंध मां और पिता दोनों से होता है। इस पद्धति में सरोगेट मदर को दवाईयां खिलाकर अंडाणु विहीन चक्र में रखना पड़ता है जिससे बच्‍चा होने तक उसके अपने अंडाणु न बन सके।

सरोगेसी एक बहुत मंहगी प्रकिया होती है जिसके लिए करीब 8-12 लाख रूपये तक लग सकते है। सरोगेसी की प्रकिया को चुनने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी लेना जरूरी होता है।