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'फुल्लू' को सेंसर बोर्ड ने दिया 'ए' सर्टिफिकेट, ट्विटर पर लोगों ने जताई नाराजगी

आर्थिक रूप से गरीब महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन बनाने के इर्द-र्गिद घूमती फिल्म 'फुल्लू' को 'ए' सर्टिफिकेट देने के लिए सेंसर बोर्ड एक बार फिर सुर्खियों में है।

News Nation Bureau
| Edited By :
15 Jun 2017, 01:48:49 PM (IST)

नई दिल्ली:

आर्थिक रूप से गरीब महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन बनाने के इर्द-र्गिद घूमती फिल्म 'फुल्लू' को 'ए' सर्टिफिकेट देने के लिए सेंसर बोर्ड एक बार फिर सुर्खियों में है। फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट देने पर सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा। 

फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट मिलने से स्कूली लड़कियां फिल्म नहीं देख पाएंगी जिन्हें ध्यान में रख ये फिल्म बनाई गई है।

सेंसर बोर्ड के इस फैसले खिलाफ लोगों ने ट्विटर पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि फिल्म को आखिर किस आधार पर 'ए' सर्टिफिकेट दिया गया है?लोगों ने अपनी नाराजगी कुछ इस तरह जाहिर की।

A Movie like #Phullu shouldn't be given an A certificate.
Its high time taboo about #Mensuration & Myths about #Periods are broken. pic.twitter.com/piIAhYt2hI

— Aarti (@aartic02) June 15, 2017

In a country where almost 80% women don't even use a sanitary napkin, #Phullu should be made tax free and shown on every national channel.

— commander cupcake (@Being_Siddhi) June 15, 2017

In a nation where menstruation is considered as a taboo, a film like #Phullu can really make a difference by creating awareness in society.

— Abhijeet (@aaptimist_) June 15, 2017

#Phullu bollywd must make more films which create awareness among c'mon ppl & censor board shd giv UA certificatn not A certfn 2 such films

— SRK fan (@SRK_Indian) June 15, 2017

Movie on menstruation awareness is not an Adult film. Censor board has lost it's mind. #Phullu pic.twitter.com/O0XLpsyJ91

— Kuldeep Kaydan 🦁 (@KuldeepKadyan) June 15, 2017

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रिलीज से पहले 'फुल्लू' की स्पेशल स्क्रीनिंग दिल्‍ली में भी रखी गई। स्क्रीनिंग के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हैरान थे कि आखिर सेंसर बोर्ड ने किस आधार पर 'फुल्लू' को 'ए' सर्टिफिकेट दिया है। उन्होंने कहा, 'सेंसर बोर्ड ने एक ऐसी फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट दिया है जिसका मकसद दर्शकों का सिर्फ मनोरंजन करना नहीं, बल्कि देश की महिलाओं को अपनी हेल्थ के प्रति जागृत करना है।

फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट दिए जाने पर लीड ऐक्ट्रेस ज्योति शेट्टी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'बोर्ड ने फुल्लू को 'ए' सर्टिफिकेट दिया है। खुद मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट किस आधार पर दिया गया है। हमारी फिल्म का सब्जेक्ट टीनएजर्स के लिए जानना सबसे ज्‍यादा जरूरी है। लेकिन अब 'ए' सर्टिफिकेट मिलने से दर्शकों की यही क्लास फिल्म नहीं देख पाएगी।'

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'पैडमैन' से अलग है 'फुल्लू'
निर्देशक अभिषेक सक्सेना का कहना है कि उनकी फिल्म सैनिटरी पैड के विषय को छोड़कर 'पैडमैन' से पूरी तरह अलग है। हमारा लक्ष्य सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सैनिटरी नैपकिन के विषय को छोड़ दें तो दोनों कहानियों का इरादा अलग है।'

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