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'चौकीदारों का गांव है, यहां चोरों का आना वर्जित है', किसने लगाए पीएम मोदी के 'गांव' में पोस्टर

ककरहिया गांववासियों ने गांव में जगह-जगह 'यह चौकीदारों का गांव है, यहां चोरों का आना वर्जित' लिखा पोस्टर लगाए हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
08 May 2019, 01:58:04 PM (IST)

highlights

  • ककरहिया गांव के वासियों ने गांव में जगह-जगह 'यह चौकीदारों का गांव है, यहां चोरों का आना वर्जित' लिखा पोस्टर लगाए हैं.
  • 'प्रधानमंत्री को चोर कहकर संबोधित करने वालों ने पूरे देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है.
  • मोदी ने गांव का कायाकल्प कर दिया. गांव में बिजली व पानी की व्यवस्था ठीक हुई है.

नई दिल्ली.:

इस लोकसभा चुनाव में मानो सारी राजनीति 'चौकीदार' शब्द के ईर्द-गिर्द ही घूम रही है. कांग्रेस के 'चौकीदार चोर है' के आक्रामक नारे के जवाब में बीजेपी 'मैं भी चौकीदार' का घोषवाक्य लेकर आई. हालांकि धीरे-धीरे अब कांग्रेस का यह नारा उसके लिए ही गले की फांस बनता जा रहा है. चौकीदारों द्वारा इसे अपनी अवमानना बताकर सर्वोच्च अदालत की शरण लेने से लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गांव ककरहिया में लगा पोस्टर चर्चा का केंद्र बन गया है.

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बदल गई ककरहिया गांव की दशा-दिशा
ककरहिया गांव के वासियों ने गांव में जगह-जगह 'यह चौकीदारों का गांव है, यहां चोरों का आना वर्जित' लिखा पोस्टर लगाए हैं. स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर 2017 को ककहरिया गांव गोद लिया था. उनके द्वारा गांव को गोद लेने से इसका कायाकल्प हो गया. यह देश-दुनिया में चर्चित हो गया. यहां काफी विकास भी हुआ है. जाहिर है गांववासियों के ऐसे विरोध प्रदर्शन पर तरह-तरह की चर्चा भी हो रही हैं.

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आहत महसूस कर रहे हैं गांवावासी
एक ग्रामीण ने बताया, 'प्रधानमंत्री को चोर कहकर संबोधित करने वालों ने पूरे देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है. ऐसे लोगों का हमारे गांव में कदम नहीं पड़े इसलिए ऐसे पोस्टर लगाए हैं.' गांव वाले साफ-साफ कहते हैं कि इससे पहले जो भी सांसद व विधायक जीत कर आता था वह हमारे गांव के विकास को दरकिनार कर देता था, लेकिन मोदी ने गांव का कायाकल्प कर दिया. गांव में बिजली व पानी की व्यवस्था ठीक हुई है. लोगों को भरपूर बिजली व पानी मिलने लगा.