.

25 साल बाद एक मंच पर होंगे मायावती और मुलायम सिंह यादव

उत्‍तर प्रदेश के सियासी इतिहास में 19 अप्रैल को एक बड़ा लम्हा होगा जब पच्चीस साल बाद पहली बार मायावती व मुलायम सिंह यादव एक मंच पर होंगे.

News Nation Bureau
| Edited By :
18 Apr 2019, 07:10:02 PM (IST)

नई दिल्‍ली:

उत्‍तर प्रदेश के सियासी इतिहास में 19 अप्रैल को एक बड़ा लम्हा होगा जब पच्चीस साल बाद पहली बार मायावती व मुलायम सिंह यादव एक मंच पर होंगे. मैनपुरी की जनता के लिए तो यह ऐतिहासिक पल होगा जब 25 साल बाद बसपा सुप्रीमो मायावती सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगेंगी. इससे पहले 1993 में कांशीराम व मायावती ने लखनऊ के एतिहासिक बेगमहजरत महल पार्क में संयुक्त रैली की थी. इसमें भारी तादाद में जनता इन नेताओं को सुनने जुटी थी.

यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Election 2019 : आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी के बारे में

सपा बसपा रालोद की संयुक्त रैलियों के तहत 19 अप्रैल को मैनपुरी में अखिलेश यादव, मायावती, मुलायम सिंह यादव व अजित सिंह एक मंच पर होंगे. यह देखने वाली बात होगी इस मंच से मुलायम सिंह यादव मायावती के लिए क्‍या कहेंगी.

यह भी पढ़ेंः UP Polling Live Updates: 5 बजे तक 58.61 फ़ीसदी वोटिंग, अमरोहा में बरसे वोट

2 जून 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा की राहें बसपा से जुदा हो गईं थीं. 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई तो 2012 के चुनाव में सपा ने. दो ताकतवर दल लेकिन अलग अलग. जब 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को भाजपा की ताकत के आगे काफी कमजोर साबित किया. उन्हें संभलने का मौका मिलता इससे पहले 2017 के चुनाव में सपा बसपा का फिर बुरा हाल हुआ. वक्ती जरूरतों ने व वजूद बचाने के लिए एक साथ आने का साहसिक निर्णय किया और गठबंधन बना कर चुनाव लड़ रहे सपा बसपा ने अपने साथ रालोद को भी ले लिया.

यह भी पढ़ेंः मथुरा: शादी के मंडप से दुल्हन को घर ले जाने की बजाय यहां लेकर पहुंचा दूल्हा, पढ़ें पूरी खबर

यूपी की जनता ने सपा बसपा या यूं कहें कांशीराम व मुलायम की दोस्ती का भी वक्त देखा है. इटावा लोकसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम की जीत सुनिश्चित की थी. मुलायम सिंह यादव व कांशीराम ने दलित, पिछड़ा व मुस्लिम समीकरण जोड़ कर ऐसा गठबंधन तैयार किया जिसने राम मंदिर आंदोलन के माहौल में भाजपा का विजय रथ सत्ता में आने से रोक दिया और खुद सरकार बना ली. यही वही दौर था जब उत्‍तर प्रदेश में नारा गूंज उठा कि मिले मुलायम कांशीराम, हव में उड़ गए जय श्रीराम.