सीएम अरविंद केजरीवाल ने मान लिया की 'आप' हार रही है दिल्ली की 7 सीटें? जानें क्यों
अरविंद केजरीवाल का कहना है आम आदमी पार्टी दिल्ली की सातों सीटों पर जीत दर्ज करने जा रही थी, लेकिन ऐन मौके आए 'वोटिंग टि्वस्ट' से जीती हुई बाजी पलट गई.
highlights
- दिल्ली में हार स्वीकारते हुए केजरीवाल ने कहा कि ऐन मौके कांग्रेस को चला गया आप का वोट.
- यह भी कहा कि गैर बीजेपी सरकार को सशर्त समर्थन को भी तैयार है आप.
- ईवीएम से अगर छेड़छाड़ नहीं हुई तो केंद्र में बीजेपी का फिर आना मुश्किल.
नई दिल्ली.:
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को अगर एक बड़ा तबका गंभीरता से नहीं लेता है, तो यह उनके बेसिरपैर बयानों की वजह से ही है. इस कड़ी में अब उन्होंने लोकसभा चुनाव के सातवें चरण से पहले ही दिल्ली में हार स्वीकारने का बयान दिया है. उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी (Aap) दिल्ली की सातों सीटों पर जीत दर्ज करने जा रही थी, लेकिन ऐन मौके आए 'वोटिंग टि्वस्ट' से जीती हुई बाजी पलट गई. यही नहीं, उन्होंने 23 मई को मतगणना शुरू होने से पहले एक बार फिर ईवीएम टैंपरिंग का राग छेड़ दिया है.
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केजरीवाल ने कहा सारा वोट कांग्रेस को शिफ्ट हो गया
अंग्रेजी समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि आप का सारा का सारा वोट कांग्रेस (Congress) को शिफ्ट हो गया है. आप को दिल्ली (Delhi) में कितनी सीटों पर जीत मिलेगी प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, 'देखिए क्या होता है. दरअसल चुनाव के 48 घंटे पहले तक हमें लग रहा था कि सातों सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिलेगी, लेकिन आखिरी लम्हों में सारा का सारा वोट कांग्रेस को चला गया. यह सब चुनाव से एक दिन पहले हुआ. हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिए ऐसा क्यों हुआ. यहां 12-13 फीसदी वोट मुसलमानों (Muslim Votes) के हैं.' गौरतलब है कि आप ने अंतिम क्षणों तक दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिशें की थीं, लेकिन बात बनी नहीं.
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फिर आलापा ईवीएम राग, कहा छेड़छाड़ नहीं हुई तो बीजेपी केंद्र में नहीं आएगी
यही नहीं, बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने के सवाल पर केजरीवाल ने कहा है कि अगर ईवीएम (EVM Tampering) से छेड़छाड़ नहीं हुई तो मोदीजी की प्रधानमंत्री बतौर वापसी मुश्किल है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर केंद्र में मोदी (PM Modi) और अमित शाह के बगैर सरकार बनती है, तो वह समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे पर ही आप पार्टी केंद्र की गैर-मोदी सरकार में शामिल होंगे. गौरतलब है कि 2014 में आप को दिल्ली की सातों सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था.