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पिनराई विजयन ने केरल के राज्यपाल से मुलाकात कर दिया इस्तीफा

देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला आ गया है. केरल में 6 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ का नेतृत्व करने वाले सीएम पिनराई विजयन ने शानदार जीत दर्ज की है.

News Nation Bureau
| Edited By :
03 May 2021, 04:51:19 PM (IST)

नई दिल्ली:

देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला आ गया है. केरल में 6 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ का नेतृत्व करने वाले सीएम पिनराई विजयन ने शानदार जीत दर्ज की है. पिनराई विजयन ने सोमवार को नए मंत्रिमंडल के गठन से पहले केरल के राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है. सीपीआई (मार्क्सवादी) की कार्यकारिणी आज सरकार गठन के संबंध में फैसला लेने के लिए बैठक करेगी. केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन, जिन्होंने रविवार को वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार का नेतृत्व करते हुए सत्ता बनाए रखकर इतिहास रच दिया, वह जब अपनी टीम का चयन करने के लिए बैठेंगे तो उनके पास अपनी पार्टी के अनुभवी दिग्गजों की कमी खलेगी.

दरअसल, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आदर्श नियम बनाया कि जिनके पास लगातार दो कार्यकाल का अनुभव है, उन्हें इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारना है. इसलिए पांच अनुभवी मंत्री - थॉमस इस्साक (वित्त), ए.के. बालन (कानून), जी. सुधाकरन (सार्वजनिक निर्माण), सी. रवींद्रनाथ (शिक्षा), और ई.पी. जयराजन (उद्योग) टिकट पाने में विफल रहे. 28 अन्य पार्टी विधायकों को भी फिर से नामित नहीं किया गया था.

हालांकि जीतने वाले उम्मीदवारों में राज्यमंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन (पर्यटन), एम.एम. मणि (विद्युत), ए.सी.मोइदीन (स्थानीय स्वशासन), टी.पी. रामकृष्णन (एक्साइज) और के.के. शैलजा (स्वास्थ्य) शामिल रहे. एकमात्र, मत्स्य मंत्री जे. मर्कुट्टी चुनाव हार गए.

उच्च शिक्षा मंत्री के.टी.जेलेल, हालांकि माकपा के नहीं हैं, मगर उन्होंने भी जीत हासिल की है और यह देखा जाना बाकी है कि क्या उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा? इसी तरह एम.वी. गोविंदन को लेकर भी निश्चितता बनी हुई है. हालांकि वह विजयन के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं.

संभावना है कि विजयन राज्यसभा के पूर्व सदस्य पी. राजीव और के.एन. बालगोपाल को कैबिनेट में शामिल करने पर विचार कर सकते हैं. रविवार को घोषि परिणामों में ये दोनों जीते हैं. दो बार के लोकसभा सदस्य एम.बी. राजेश, जो 2019 में हार गए थे, उन्होंने इस बार युवा कांग्रेस नेता वी.टी. बलराम को जीत की हैट्रिक लगाने से रोका है, इसलिए उन्हें मंत्री बनाए जाने की भी संभावना है.

कोल्लम से लगातार दूसरी बार जीतने वाले फिल्म स्टार व माकपा विधायक मुकेश को भी मंत्री बनने का मौका मिला है. महिला उम्मीदवारों में, शैलजा का फिर से मंत्री बनना तय है और अगर 2016 की तरह, एक से ज्यादा महिला को मौका दिया जाएगा तो पत्रकार से विधायक बनीं वीना जॉर्ज, जो लगातार दूसरी बार जीती हैं, मंत्री पद की प्रबल दावेदार हैं.

मकपा के सचिव और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के संयोजक ए.विजयराघवन की पत्नी आर. बिंदु चुनाव जीत गई हैं, वह भी मंत्री बनाई जा सकती हैं. इस समय, सभी की निगाहें विजयन के दामाद मोहम्मद रियाज पर भी हैं, यह देखने के लिए कि क्या उन्हें मंत्री पद मिलेगा? क्योंकि वह ब्योपुर से 20,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते, जबकि एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी कि वह हार जाएंगे.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री के. राधाकृष्णन को भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है, क्योंकि वह अनुसूचित जाति समुदाय से होने के अलावा पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य भी हैं. वी.एन. वासन, जिन्हें विजयन का एक और करीबी सहयोगी माना जाता है, उन्हें मंत्री पद मिल सकता है.

एलडीएफ की दूसरी सबसे बड़ी घटक सीपीआई से भी नवनिवार्चित विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. पिछली बार सीपीआई से चार मंत्री बनाए गए थे, मगर इस बार उनकी संख्या कितनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि इस बार उनकी सीटें 19 से घटकर 16 रह गई हैं.