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बीजेपी को इस बार अपनों से ज्यादा खतरा, कई सीटों पर भितरघात से बिगड़ेंगे समीकरण

विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा अपनी ही पार्टी के नेताओं से खतरा है. आलम ये है कि देवास की तीन विधानसभा सीटों पर अपने नेता बागी होकर ताल ठोक रहे हैं. जिन सीटों पर बगावत बढ़ी है उनमें हाटपीपल्या, देवास, और बागली की सीटें शामिल हैं. इन नेताओं के बागी होने से सामाजिक समीकरण बिगड़ेंगे, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.

News Nation Bureau
| Edited By :
13 Nov 2018, 09:56:24 AM (IST)

भोपाल:

विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा अपनी ही पार्टी के नेताओं से खतरा है. आलम ये है कि देवास की तीन विधानसभा सीटों पर अपने नेता बागी होकर ताल ठोक रहे हैं. जिन सीटों पर बगावत बढ़ी है उनमें हाटपीपल्या, देवास, और बागली की सीटें शामिल हैं. इन नेताओं के बागी होने से सामाजिक समीकरण बिगड़ेंगे, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.

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देवास से बागी हुए दिलीप बांगर मराठा समाज से हैं उन्हें मराठा समाज का वोट मिलने की पूरी उम्मीद है. इसका अलावा इटावा इलाके में भी उनका जनाधार है.इसी तरह हाटपीपल्या में बागी तेजसिंह सेंधव को अपने समाज का वोट मिलने की उम्मीद है. कहा जा रहा है कि कोरकू समाज बागली का भाग्य तय करेगा.बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परेशानी बागली विधानसभा में है.टिकट कटने से मौजूदा विधायक चंपालाल देवड़ा के तेवर तल्ख दिख रहे हैं. बागली में सबसे ज्यादा कोरकू समाज के वोटर हैंजबकि जिसे टिकट दिया गया है वो भील समाज से हैं.

खातेगांव में भी विरोध की चिंगारी

खातेगांव से मौजूदा विधायक ही प्रत्याशी हैं लेकिन पूर्व विधायक बृजमोहन धूत का गुट विरोध कर रहा है. विरोध में बृजमोहन धूत का गुट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिल भी चुका है, हालांकि बीजेपी नेता राहुल कोठारी की दलील है कि चुनाव में कुछ सीटों पर इस तरह की स्थिति हर बार बनती है.चुनावी नतीजों पर उसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि इस बार देवास की स्थिति अलग होगी.

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बीजेपी के नेता दलील चाहे जो भी दे रहे हों.लेकिन कमोबेश यही स्थिति कई सीटों पर है. टिकट कटने से नाराज विधायक पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ ही अंदर- अंदर काम कर रहे हैं. इसीलिए ये कहा जा रहा है कि बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा अपनों से ही खतरा है.