.

Bihar Assembly Election 2020: गुरूआ में क्या फिर से खिलेगा कमल या फिर लालटेन करेगी वापसी?

2011 के जनगणना के अनुसार गुरूआ की कुल जनसंख्या 426171 है जिसमें से 98.78 प्रतिशत ग्रामीण है. वहीं 1.22 प्रतिशत जनसंख्या शहरी.

News Nation Bureau
| Edited By :
06 Nov 2020, 01:07:04 PM (IST)

नई दिल्ली :

बिहार में देर से ही सही लेकिन चुनावी बिगुल बज उठी है. एनडीए और महागठबंधन जनता को लुभाने के लिए रणनीति बनाने में लग गए हैं. वहीं उनकी ये भी कोशिश है कि जिन सीटों पर उन्होंने साल 2015 में कब्जा किया था, उसे भी बचाया जाए. अब ये कितना मुमकीन होता है ये तो वक्त के गर्भ में छुपा हुआ है. लेकिन हम हर विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक और सामाजिक समीकरण को बता रहे हैं. इस कड़ी में एक नाम है गुरूआ (Gurua) विधानसभा सीट.

मतदाता की संख्या 
2011 के जनगणना के अनुसार गुरूआ की कुल जनसंख्या 426171 है जिसमें से 98.78 प्रतिशत ग्रामीण है. वहीं 1.22 प्रतिशत जनसंख्या शहरी. यहां अनुसूचित जाति (SC) कुल जनसंख्या में 32.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है. वहीं अनुसूचित जनजाति 0.03 प्रतिशत की. 277148 मतदाता है. जबकि यहां 329 पोलिंग बूथ है.

गुरुआ सीट पर बीजेपी का कब्जा 

गुरूआ सीट पर बीजेपी के राजीव नंदन का कब्जा है. जेडीयू के रामचंद्र प्रसाद को हराकर राजीव नंदन ने जीत हासिल की है. साल 2015 का चुनाव जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर लड़ा था. लेकिन इस बार का समीकरण बदल चुका है. जेडीयू ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है.

साल 2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने बाजी मारी थी. यानी पिछले दो दफा से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. आरजेडी के बिंदेश्वरी प्रसाद यादव को 11436 वोट से हराकर सुरेंद्र प्रसाद ने जीत हासिल की थी. 2010 के विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 54.52 था.

पिछले विधानसभा में कौन-कौन रहे विधायक
वर्ष विधायक का नाम पार्टी
2015 राजीव नंदन भाजपा
2010 सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा भाजपा
2005 (अक्टूबर) शकील अहमद खान आरजेडी
2005 (फरवरी) शकील अहमद खान आरजेडी
2000 शकील अहमद खान आरजेडी
1995 रामचंद्रा निर्दलीय
1990 रामाधार सिंह निर्दलीय

गुरूआ विधानसभा के चुनावी मुद्दे
गुरूआ, गुरारू एवं परैया तीन प्रखंडों को मिलाकर बना गुरूआ विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. गुरूआ विधानसभा क्षेत्र में किसानों की समस्याएं चुनावी मुद्दा बनती रही हैं. इस बार भी चुनाव में किसानों की समस्याएं और विकास मुद्दा बनेगी. उतरी कोयल नहर, अपर मोरहर नहर से किसानों को एक बूंद पानी नहीं मिलने से किसान परेशान हैं.