सिवान के दरौंदा विधानसभा सीट पर परिवारवाद का वर्चस्व
बिहार के बहुचर्चित सिवान जिले के अंतर्गत आने वाले दरौंदा विधानसभा सीट पर परिवारवाद का दबदबा हमेशा से रहा है. वैसे पिछले साल हुए उपचुनाव में यह सीट एक विशेष परिवार से निकल कर निर्दलीय प्रत्याशी के पाले में चला गया.
दरौंदा :
बिहार के बहुचर्चित सिवान जिले के अंतर्गत आने वाले दरौंदा विधानसभा सीट पर परिवारवाद का दबदबा हमेशा से रहा है. वैसे पिछले साल हुए उपचुनाव में यह सीट एक विशेष परिवार से निकल कर निर्दलीय प्रत्याशी के पाले में चला गया.
सिवान के इस सीट पर बाहुबली नेता अजय सिंह के परिवार का कब्ज़ा रहा है. 2011 में अजय सिंह की मां जगमातो देवी के मृत्यु के बाद दरौंदा सीट पर उपचुनाव हुआ था. अजय सिंह की मां जदयू की नेता थी. उनके निधन के बाद जदयू ने अजय सिंह को टिकट नहीं दिया था क्योंकि उनपर कई आपराधिक मामले दर्ज थे. जिसके बाद अजय सिंह ने कविता सिंह से शादी की और पार्टी ने उनके पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा. कविता सिंह भारी मतों से विजयी हुई थी. उसके बाद अगले विधान सभा चुनाव 2015 में भी कविता सिंह को जीत मिली.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर जदयू कविता सिंह को सिवान सीट से मैदान में उतारा. जनता अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिए जाने के विरोध में थी. परन्तु प्रधानमंत्री मोदी के लहर में लोगों ने कविता सिंह को वोट देकर जितवा दिया. लोकसभा चुनाव में जीत के बाद कविता सिंह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जिस वजह से इस सीट पर उपचुनाव करवाना पड़ा था.
परन्तु 2019 में यह सीट एक परिवार वर्चस्व से बाहर निकल कर निर्दलीय व्यास सिंह के पास चला गया. उपचुनाव में जदयू ने फिर यहां से अजय सिंह को ही मैदान में उतारा था. सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह करीब 28 हजार वोटों से चुनाव हार गए. भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे व्यास सिंह को जीत मिली.
इस बार के चुनाव में यह सीट काफी दिलचस्प हो गयी है. लोगों के अपने-अपने दावे और प्रतिदावे हैं. भाजपा के जिला इकाई का कहना है कि इस सीट से भाजपा का ही ही कोई उम्मीदवार चुनाव लडेगा. वहीँ बता दें जिला इकाई भाजपा अध्यक्ष भी अपनी दावेदारी इस सीट के लिए मजबूती से रखी है. जिस तरह से बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन साथ चुनाव लड़ेगी, ऐसे में ऊंट किस करवट बेठेगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.