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संसद में पारित हुआ आईआईएम बिल 2017, दे सकेंगे अब डिग्री

संसद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट को एमबीए और पीएचडी की डिग्री देने वाले बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Dec 2017, 04:29:11 AM (IST)

highlights

  • देश के सभी IIM हुए ऑटोनॉमस बॉडी, सरकार की नहीं होगी दखल
  • डिप्लोमा की जगह दे सकेंगे एमबीए और पीएचडी की डिग्री 

नई दिल्ली:

संसद ने मंगलवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट को एमबीए और पीएचडी की डिग्री देने वाले बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस बिल को लोकसभा में जुलाई में ही पारित कर दिया गया था।

इसी के साध देश के सभी 20 भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अब सरकार की दखलंदाजी से मुक्त हो गए हैं।

इस विधेयक के कानून बनने पर आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिल जायेगा। इसके अलावा इन संस्थानों को स्वायत्तता भी मिल सकेगी जिससे छात्रों को डिप्लोमा की जगह डिग्री दे सकेंगे।

इस बिल को राज्य सभा में पेश करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'डिग्री मिलने का सीधा लाभ उन छात्रों को मिलेगा जो अन्य देशों में प्रबंधन के क्षेत्र में शोध कार्य (पीएचडी) करने के इच्छुक होते हैं। मौजूदा व्यवस्था में डिप्लोमा धारक होने के कारण ऐसे छात्रों को तमाम अग्रणी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पीएचडी में दाखिला नहीं मिलता है। इसके लिये डिग्री की दरकार होती है।'

इसके अलावा जावड़ेकर ने कहा कि फीस को लेकर सदस्यों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। कोई भी गरीब छात्र दाखिले से वंचित नहीं होगा। छात्रों के लिए फीस कोई मुद्दा नहीं होगी और छात्रों को ब्याज मुक्त रिण मुहैया कराया जाएगा।

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क्या है आईआईएम बिल 2017

इस बिल के तहत अब निदेशकों, फेकल्टी सदस्यों की नियुक्ति करने के अलावा डिग्री और पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकेंगे। पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर सभी 20 आईआईएम बोर्ड ऑफ गनर्वर्स की नियुक्ति भी कर सकेंगे।

आईआईएम को डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब संस्थान का बोर्ड ही चेयरपर्सन और डायरेक्टर्स की नियुक्ति कर सकेगा। चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा 4 साल के लिए जाएगी वहीं डायरेक्टर की नियुक्ति पांच साल के लिए होगी।

बोर्ड में सरकार के नामित चार सदस्यों की नियुक्ति की परंपरा भी खत्म हो जायेगी। बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती छात्रों की ज्यादा भागीदारी होगी। इसके साथ महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।

वहीं आईआईएम के खातों का आडिट भी कैग करेगी।

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