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देश में आज से कॉमर्शियल कोयला खनन की हो जाएगी शुरुआत, राज्यों का हर साल होगी मोटी कमाई

Coal Block Auction: जानकारी के मुताबिक इन ब्लॉक से राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होगा. बता दें कि ये 41 खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
18 Jun 2020, 08:25:02 AM (IST)

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज सुबह 11 बजे 41 कोल ब्लॉक्स की नीलामी की प्रक्रिया को शुरू करेंगे. इन कोल ब्लॉक्स की नीलामी (Coal Block Auction) से देश में कोल ब्लॉक्स की वाणिज्यिक खनन की शुरुआत होगी. इन कोयला ब्लाक की वाणज्यिक खनन में अगले पांच से सात साल में करीब 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. जानकारी के मुताबिक इन ब्लॉक से राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होगा. बता दें कि ये 41 खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं और ये खदान देश में साल 2025-26 तक अनुमानित कुल कोयला उत्पादन में करीब 15 फीसदी का योगदान देंगे.

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सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान
जानकारी के मुताबिक इससे सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है और इसमें सीधे तौर पर करीब 70,000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. इस मौके पर आत्मनिर्भर भारत अभियान, ऊर्जा जरूरतों, राजस्व,रोजगार और कोयला सेक्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बात रखेंगे. कोयला मंत्रालय और फिक्की मिल कर इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने कोल ब्लॉक्स को कमर्शियल माइनिंग के लिए नीलाम करने का फैसला किया है. नीलामी से कोयला सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ेगी. सरकार को उम्मीद है की इससे कोयला सेक्टर में उत्पादन और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगा...कोल सेक्टर में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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कार्यक्रम में फिक्की अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी और वेदांत ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी उद्योग जगत की तरफ से संबोधित करेंगे. इस मौके पर कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी भी मौजूद रहेंगे. हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया था. सीसीईए द्वारा मंजूर तौर-तरीके के अनुसार बोली मानदंड राजस्व हिस्सेदारी पर आधारित होगा. बोलीदाताओं को सरकार को देय राजस्व में प्रतिशत हिस्सेदारी के भुगतान के आधार पर बोली लगानी होगी.