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कैश लेस अर्थव्यवस्था की ओर एक और कदम, बाजार में नहीं रहेंगे नोट

कैश रखने के मामले में आरबीआई के विचारों को जानने के लिए आपको 23 जून 2016 को आई ‘पेमेंट ऐंड सेटलमेंट सिस्टम्स इन इंडिया: विजन 2018’ रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ना पडेगा।

News Nation Bureau
| Edited By :
01 Dec 2016, 01:10:55 PM (IST)

ऩई दिल्ली:

अगर किसी को लगता है कि नई करेंसी के बाजार में ठीक से सप्लाई शुरू होने के बाद वापस से घर में कैश रख सकेंगे, तो ये सिर्फ एक ख्वाब ही है। आरबीआई और सरकार आपकी इस पुरानी आदत को सिरे से ही ख़त्म करने के बारे में सोच रही है। कैश रखने के मामले में आरबीआई के विचारों को जानने के लिए आपको 23 जून 2016 को आई ‘पेमेंट ऐंड सेटलमेंट सिस्टम्स इन इंडिया: विजन 2018’ रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ना पडेगा।

इस रिपोर्ट के अनुसार,'आरबीआई की समाज के सभी वर्गो को 'लेसकैश' सोसायटी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स पेमेंट्स के लिए बढ़ावा देने की योजना है।' 

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एक अनुमान के मुताबिक, नोटबंदी के पहले बाजार में 17.6 लाख करोड़ रूपये तक का कैश मौज़ूद था, जो अब घटकर दो तिहाई तक रह गया है।

भारत में करेंसी इकनॉमी जीडीपी का 12 पर्सेंट है, जो बहुत अधिक है। इससे न सिर्फ करप्शन, बल्कि बड़े स्तर पर टैक्स चोरी का भी पता चलता है। मलेशिया में कैश इकनॉमी 8 पर्सेंट, अमेरिका में 7.8 पर्सेंट और मेक्सिको में 6.7 पर्सेंट है।

ऐसे में इस अभियान के खत्म होने के बाद बाजार में कितना कैश रहेगा इसकी सही जानकारी आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ही दे सकते हैं। हालांकि, एक अनुमान के मुताबिक शुरू में यह जीडीपी के 8.5-9 पर्सेंट तक रह सकता है।

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकनॉमिस्ट एस के घोष के अनुसार,'हमें लगता है कि कैश टु जीडीपी रेशियो 8 पर्सेंट पर स्टेबल हो सकता है।' उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत अमेरिका से बेहतर पोजीशन में आ सकता है।'

घोष के मुताबिक लोगों को लग रहा है कि आरबीआई और सरकार ने नोटबंदी के लिए पूरी तैयारी नहीं की थी, लेकिन अब लग रहा है कि सिस्टम में कैश कम करने के लिए सोच-समझकर योजना पर काम हो रहा है। इसलिए दोनों ने डिजिटल पेमेंट पर काफी जोर दिया है।

ऐसा माना ज रहा है कि सरकार और आरबीआई लोगों के बीच अफरातफरी के माहौल में अब तक इस बारे में खुल कर नहीं बोल पाई है।