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जेटली बोले, रोजगार, निवेश में मंदी समेत तीन कारण उभरती अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती

अर्थव्यवस्था के रास्ते में रोजगार, निवेश में आई वैश्विक मंदी और यूएस फेडरल रिजर्व के फैसलों से पड़ने वाले प्रभाव सबसे बड़ा बाधक।

News Nation Bureau
| Edited By :
16 Oct 2017, 01:11:42 AM (IST)

नई दिल्ली:

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रास्ते में रोजगार, निवेश में आई वैश्विक मंदी और यूएस फेडरल रिजर्व के फैसलों से पड़ने वाले प्रभाव को सबसे बड़ा बाधक बताया है।

भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा एवं वित्तीय समिति (आईएमएफसी) में चर्चा करते हुए कहा कि रोजगार सृजन, वैश्विक निवेश में सुस्ती और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक स्थितियों को सामान्य करने के कदम के उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर संभावित प्रभाव तीन प्रमुख नीतिगत चुनौतियां हैं। 

उन्होंने कहा, 'पहली चुनौती यह है कि सामान्य मौद्रिक स्थिति बहाल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उठाए जा रहे साहसिक कदमों से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) के समक्ष जोखिम उत्पन्न हो गए हैं। दूसरी चुनौती निवेश में वैश्विक सुस्ती और तीसरी चुनौती रोजगार को लेकर है।'

जेटली ने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करेंगे कि वह अल्पकालिक पूंजीगत अस्थिरता को प्रबंधित करने हेतु विभिन्न देशों के लिए उपलब्ध एवं उनके द्वारा अमल में लाए जा रहे वृहद-विवेकपूर्ण और पूंजी प्रवाह प्रबंधन उपायों का उचित एवं निष्पक्ष आकलन करे। 

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उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहां जनसांख्यिकीय परिवर्तन का अच्छा दौर देखा जा रहा है। 

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता हर साल श्रम बल में शामिल होने वाले 1.2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने के तरीके ढूंढ़ना है।

उन्होंने विश्व बैंक की समग्र विकास समिति की 96वीं बैठक में भी भाग लिया। बैठक के एजेंडे में विश्व विकास रिपोर्ट 2018 और विकास के लिए वित्त को उच्चतम सीमा तक बढ़ाने सहित कई विषय शामिल थे।

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