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सीबीआई ने 515 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में आरपी इंफोसिस्टम के निदेशकों को किया गिरफ्तार

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कोलकाता स्थित आरपी इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक कौस्तव रे और शिवाजी पांजा को 515 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में गुरुवार को गिरफ्तार किया।

News Nation Bureau
| Edited By :
16 Mar 2018, 06:10:17 PM (IST)

highlights

  • 26 फरवरी को केनरा बैंक ने सीबीआई से शिकायत दर्ज कराया था
  • कोलकाता स्थित यह कंपनी कंप्यूटर बनाने का काम करती है
  • इससे पहले भी आईडीबीआई बैंक से 180 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किया गया था

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कोलकाता स्थित आरपी इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक कौस्तव रे और शिवाजी पांजा को 515 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में गुरुवार को गिरफ्तार किया।

आरपी इंफोसिस्टम कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी है। सीबीआई ने 26 फरवरी को केनरा बैंक द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 और 471 (दोनों जालसाजी से जुड़ा हुआ मामला) और सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक साजिश में साथ देने की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया था।

यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी के निदेशक शिवाजी पानजा, कौस्तव रे, विनय बफाना और अन्य ने केनरा बैंक एवं अन्य 9 सहायक बैंकों के साथ 515.15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

अन्य सहायक बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और फेडरल बैंक थे।

यह आरोप लगाया गया था कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर और गलत शेयरों को दिखाकर ऋण लिया गया। बैंकों ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने वित्तीय विवरणों में हेरफेर की और ऋण खाते के माध्यम से बिक्री को नहीं दर्शाया।

केनरा बैंक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि कंपनी ने चिराग नामक ब्रांड के साथ कंप्यूटर का निर्माण किया था और उसने 2012 के बाद से समय-समय पर बैंक संघ से धन अर्जित किया था।

एफआईआर के मुताबिक यह कर्ज अब नॉन परफार्मिंग असेट्स (एनपीए) बन चुके हैं।

इसके अलावा जून 2017 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने 2015 में भी कंपनी पर आईडीबीआई बैंक से 180 करोड़ रुपये को धोखाधड़ी करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया था।

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