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महंगे खाने के तेल से फिलहाल राहत मिलने के आसार कम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन, सनफ्लावर और पाम तेल के दाम बढ़ने से घरेलू बाजार में भी इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है.

10 Dec 2021, 03:37:00 PM (IST)

highlights

  • पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर सीमा शुल्क में कटौती
  • खाने के तेल का दाम 2019 के स्तर से करीब 30 फीसदी ज्यादा है

नई दिल्ली:

महंगाई की मार आम आदमी के ऊपर लगातार पड़ रही है. खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की कीमतें आसमान पर हैं. खाने के तेल की कीमतें भी आसमान पर हैं और फिलहाल उससे राहत मिलने की संभावना कम ही है. जानकारों का कहना है कि खाने के तेल के दाम अगले साल भी इसी स्तर पर बने रह सकते हैं. खाने के तेल का दाम 2019 के स्तर से करीब 30 फीसदी ज्यादा है. जानकारों का कहना है कि 2022 में सरसों की नई फसल के आने के बाद इसके दाम में 7 से 8 फीसदी तक की कमजोरी आ सकती है. बता दें कि इस साल खाद्य तेल का दाम 200 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई थी. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन, सनफ्लावर और पाम तेल के दाम बढ़ने से घरेलू बाजार में भी इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है. गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल इंपोर्ट करता है. बता दें कि केंद्र सरकार ने पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर 31 मार्च 2022 तक के लिए सीमा शुल्क में कटौती की हुई है. साथ ही सरकार ने इसके ऊपर लगाए गए कृषि उपकर में भी कटौती कर दी है. 

जानकारों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. किसानों ने ज्यादा दाम मिलने की उम्मीद में सोयाबीन की फसल को फिलहाल अपने पास रखा है जिसकी वजह से भी कीमतों में कमी नहीं आ रही है. वहीं ऑफ सीजन की वजह से खाद्य तेल की इन्वेंट्री कम है और ऐसे में इंपोर्ट ही एकमात्र विकल्प है. जानकारों का कहना है कि फरवरी के बाद सरसों की नई फसल की सप्लाई बढ़ने पर सरसों तेल की कीमतों पर दबाव आ सकता है.