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Budget 2021: बजट में सभी देशवासियों का फायदा पहुंचाने की कोशिश: वित्त सचिव

Budget 2021: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्त सचिव अजय भूषण पांडे का कहना है कि सरकार ने टैक्स के स्लैब में भले ही किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया हो लेकिन टैक्स को लेकर करदाताओं को काफी सहूलियत देने की कोशिश की गई है.

News Nation Bureau
| Edited By :
03 Feb 2021, 03:27:09 PM (IST)

नई दिल्ली:

Budget 2021: केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने बजट में करदाताओं को टैक्स के मोर्चे पर किसी भी तरह की छूट नहीं दिया है. हालांकि कृषि, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सरकार ने कई महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्त सचिव अजय भूषण पांडे (Finance Secretary Ajay Bhushan Pandey) का कहना है कि सरकार ने टैक्स के स्लैब में भले ही किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया हो लेकिन टैक्स को लेकर करदाताओं को काफी सहूलियत देने की कोशिश की गई है.

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प्रभावी तरीकों के जरिए टैक्स की वसूली होने से कमाई में होगी बढ़ोतरी 
उनका कहना है कि सरकार के द्वारा प्रभावी तरीकों के जरिए टैक्स की वसूली होने से कमाई में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा निकट भविष्य में तेज हो रही आर्थिक गतिविधियां भी इसमें अपना सहयोग करेंगी. उनका कहना है कि टैक्सपेयर्स कानूनी दांवपेच में आसानी चाहते हैं और यही वजह है कि बजट में इस पर काफी ध्यान केंद्रित किया गया है. उन्होंने कहा कि इस बजट में पूरी आबादी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है. उनका कहना है कि कुल टैक्सपेयर्स में से 99 फीसदी लोगों की आय 20-25 लाख रुपये के नीचे रहती है ऐसे में बाकी लोग ढाई लाख रुपये के दायरे में आ जाते हैं. 

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उनका कहना है कि शेयर बाजार, म्युचुअल फंड और डिविडेंड के मामलों में पारदर्शिता में इजाफा होगा. उनका कहना है कि मौजूदा समय में देश में कॉरपोरेट टैक्स सबसे कम है जिसकी वजह से निवेश में बढ़ोतरी होने की संभावना है और इससे अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलेगा. कस्टम ड्यूटी के सवाल पर उनका कहना है कि कुछ उत्पादों के ऊपर कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी की गई है जबकि कुछ प्रोडक्ट के ऊपर कस्टम ड्यूटी में कटौती की सिफारिश की गई है. उनका कहना है कि सरकार की मंशा मौजूदा कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने पर है. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने पर सरकार का फोकस है. उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में कृषि विकास सेस के जरिए 30 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा होने का अनुमान है.